बेमेतरा

समिति प्रबंधक के खिलाफ जांच पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
30-Jun-2022 2:44 PM
समिति प्रबंधक के खिलाफ जांच पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

जांच पर खड़ा हुआ सवाल, जिला प्रशासन की भूमिका से लोग नाराज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 जून।
उप पंजीयक जॉन खलको ने नांदघाट थाने में निलंबित समिति प्रबंधक सत्यनारायण के खिलाफ धारा 409 , 420 के तहत अपराध दर्ज कराते हुए संचालक मण्डल को समान दोषी बताया गया।
अपराध दर्ज होते ही बेमेतरा जिले की अघोषित क्राइम ब्रांच सक्रिय हो गई। सत्यनारायण के परिजन से लेकर संचालक मंडल के परिचितों के घर तक जिले से बाहर तक दौड़ लगा रहे हैं। कई संचालक मंडल के सदस्य फरार हुए और कोर्ट की शरण मे गए। हाईकोर्ट ने जांच में रोक लगाकर जवाब-तलब किया। इसके बाद सत्यनारायण ने हाईकोर्ट की शरण ली तो 24 जून को हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए जांच में रोक लगा दी है।

बयान जिनका दर्ज हुआ
अपर कलेक्टर ने जांच में समिति प्रबंधक सत्यनारायण , प्रभारी खाद्य अधिकारी राजेश जायसवाल , नोडल अधिकारी राजेंद्र वारे , जिला विपणन अधिकारी आशुतोष कोसरिया , उप पंजीयक सरकारी संस्थान जॉन खलको , राइस मिल संचालक अशोक भूतड़ा का बयान लिया गया। अब आगे की कार्यवाही होगी।

एफआईआर कर्ता कटघरे में कुरा समिति से अमानक धान बेचने के मामले में उप पंजीयक जॉन खलको ने एफआईआर दर्ज कराई है। एफआईआर में एसडीएम नवागढ़ के जांच को आधार बनाया गया है। इधर राज्य शासन ने कुरा निवासी दो लोगों ने पूरे मामले की मांग की थी। जिसमें बेमेतरा कलेक्टर ने जांच अधिकारी अपर कलेक्टर अनिल बाजपेयी को नियुक्त किया था। अपर कलेक्टर बाजपेयी ने 72 पेजबके जांच में दूध का दूध -पानी का पानी कर दिया है। बाजपेयी ने 72 पृष्ठों का जो सारांश लिखा है उसमें लिखा है कि धान को बिक्री किए जाने में खाद्य अधिकारी की संलिप्तता प्रमाणित नहीं होती। समिति प्रबंधक की मंशा भी दूषित प्रतीत नहीं होती। क्योंकि उसके द्वारा बारंबार संबंधित अधिकारियों को उक्त धान की उपलब्धता से अवगत कराते हुए मार्गदर्शन चाहा गया, लेकिन किसी भी अधिकारी द्वारा न तो मार्गदर्शन दिया गया और न ही समिति में उपलब्ध धान के समुचित निराकरण का प्रयास किया गया। अंतत: नियम प्रक्रिया का पालन न करने के कारण जितना समिति प्रबंधक और संचालक मंडल दोषी है , उतना ही दोषी उप पंजीयक सरकारी संस्थान , नोडल अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक , जिला विपणन अधिकारी और प्रभारी खाद्य अधिकारी भी है , क्योकि उपरोक्त सभी अधिकारियों ने अपने-अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन करने में असफल रहे हैं।
 

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