गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
छुरा, 30 जून। शीतला माता एक प्रसिद्ध देवी हैं। इनका प्राचीनकाल से ही बहुत अधिक माहात्म्य रहा है। स्कंद पुराण में शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है। ये हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण करती हैं। इन्हें चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है। इस प्रकोप से बचने के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में शीतला माता का पूजा अर्चना कर सभी की खुशहाली की कमाना करते हुए माता पहुंचनी पर्व आज भी बहुत खुशियों से मनाया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्र में कामकाज बंद कर शीतला मंदिरों में देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर सभी समाज के लोग गांव के शीतला मंदिर प्रांगण पहुंच। यह पर्व को धूमधाम से मनाया जाता हैं। यह परंपरा सदियों से चला आ रहा। पहुंच कर ठंढाई का छिडक़ाव किया जाता हैं जो गंगा जल हल्दी आदि मिलाकर बनाये रहते जिसे नीम का पत्तियों से छिडक़ाव किया जाता है। जो कि माताजी का प्रिय हैं। शीतल जल भी कहा जाता है । यह ठंडाई लेने से शरीर में सभी प्रकार की समस्याएं दूर होते हैं वह घरो में भी छिडक़ाव कर घरों का शुद्धि करने के लिए करते हैं। इस पर्व को साल में सभी जगह में मनाया जाता है जहां ग्रामीणों एवं शहरी लोगों को जाना जरूरी रहता है।
यही विश्वास से आज भी माता पहुंचनी शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया जाता है, ग्राम भरूवामुड़ा में हजारों की संख्या में महिलाएं पुरुष ग्रामवासी शीतला मंदिर प्रांगण पहुंच धूमधाम से यह त्यौहार मनाए। ग्राम पंचायत सरपंच मदन गोपाल पंच ग्राम प्रमुख समस्त ग्रामवासी एवं समाजसेवी मनोज पटेल व रेखराम ध्रुव ने पहुंचकर माताओं का सम्मान एवं आशीर्वाद लिया।