रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 2 जुलाई। रायगढ़ की रथोत्सव परंपरा के अनुरूप शुक्रवार को शहर के राजापारा स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर प्रांगढ़ में विधि विधान से पूजा-अर्चना व आरती पश्चात भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा को शंख घंट ध्वनि के बीच रथ पर आरूढ़ कराया गया। राज परिवार के सदस्यों ने परंपरा के अनुरूप छेरा पहरा देकर उनकी अगुवाई की। भगवान श्री को रथारूढ़ करने की परंपरा को पहंडी विजय के रूप में मनाया जाता है।
जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर रायगढ़ के निवासियों में भी उत्साह का माहौल रहा। यहां के जगन्नाथ मंदिरों में शुक्रवार की सुबह से ही पूजा-अर्चना का दौर चलता रहा। उत्कल सांस्कृतिक मंच की ओर से शहर के राजा पारा स्थित जगन्नाथ मंदिर में रथ उत्सव की तैयारियां सुबह से ही की जा रही थी।
पिछले दो साल के कोरोना प्रतिबंध के बाद इस वर्ष रथोत्सव देखने के लिये भारी तादाद में श्रद्वालु मंदिर परिसर के आसपास जमा रहे। परंपरा के अनुरूप मंदिर समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों के द्वारा सबसे पहले राज परिवार के सदस्यों को आमंत्रित किया गया। तत्पश्चात मंदिर परिसर में ही विशेष पूजा अर्चना शंख, घंट ध्वनि और हरिबोल की गूंज के बीच आरती पश्चात महाप्रभु जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा को पूरे विधि विधान से रथ पर आरूढ़ कराया गया। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा को रथारूढ़ करने से पहले रायगढ़ राज परिवार ने छेरा पहरा करते हुए रथ पर सवार कराया। इस दौरान राज महल प्रांगण में श्रद्वालु भक्तों की भारी भीड़ उपस्थित रही।
गौरतलब रहे कि रायगढ़ में रथोउत्सव की परंपरा दो दिनों तक चलती है। जिसमें पहले दिन पहंडी विजय के तहत भगवान श्री को रथ पर आरूढ़ कराया जाता है और तृतीया के दिन शहर के राज महल प्रांगण से घड़ी चौक तक रथ यात्रा निकाली जाती है। विगत कई दशकों से राजा पारा स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर सहित चांदनी चैक, सोनारपारा तथा गांजा चौक से रथ निकालने की परंपरा चली आ रही है। जिसे देखने के लिये पूरे रास्ते में श्रद्वालुओं की भीड़ जमा रहती है और रथ आने पर आरती से उनका स्वागत किया जाता है।
इस वर्ष जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर झांकियों का आयोजन भी किया गया है। रथारूढ़ करने के दौरान मंदिर के अंदर और बाहर दर्शन के लिए भक्तों की कतारें लगी रही। लोगों ने भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। दरअसल ओडि़शा राज्य की सीमा से लगे रायगढ़ जिले में पूरे 10 दिनों तक यात्रा मनाने की रियासत कालीन परंपरा है। रायगढ़ में हर वर्ष रथ यात्रा के दूसरे दिन रथ उत्सव मनाया जाता है। शुक्रवार को रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा को रथारूढ़ किया गया है। शनिवार को रथ यात्रा निकालकर पूरे शहर का भ्रमण कराया गया।