बिलासपुर
नगरीय प्रशासन विभाग से नोटिस आने के बाद शुरू हुआ सर्वे भी बंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 3 जुलाई। आवासीय, व्यावसायिक और सरकारी भवनों में वर्षा के जल को बचाने के लिए हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया है या नहीं, इसका नगर निगम के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। भवन का नक्शा पास करने से पहले वह एक राशि जमा कर लेता है, फिर जांच की जिम्मेदारी भूल जाता है।
बिलासपुर जिले का, विशेषकर शहर का भूमिगत जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। वह तो शहर के बीच से गुजरने वाली अरपा नदी है, जिसके चलते बेरोकटोक ट्यूबवेल की खुदाई कर जल संकट को दूर करने की कोशिश की जा रही है। इसके बावजूद बिलासपुर नगर निगम के टिकरापारा, तारबाहर, तोरवा, सिरगिट्टी, मंगला आदि इलाकों में गर्मी के दिनों में पानी का संकट गहरा जाता है। टैंकर से लोगों को पेयजल पहुंचाया जाता है। शहर के अनेक वार्डों में सार्वजनिक पंप लगातार फेल हो रहे हैं क्योंकि वाटर लेवल आए दिन नीचे चला जाता है। 3 साल पहले बिलासपुर नगर निगम का विस्तार कर इसमें तीन नगर पंचायत और 18 ग्राम पंचायतों को जोड़ दिया गया है। आने वाले वर्षों में इन्हें निर्बाध जलापूर्ति एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। राष्ट्रीय जल मिशन के तहत प्रत्येक घर में नल लगाने की योजना सिर्फ प्रतीकात्मक रूप से कुछ विकास खंडों में शुरू हुई है, जबकि बिलासपुर में मौजूदा स्थिति ऐसी है की नल लग भी जाए तो जल की आपूर्ति का संकट बना रहेगा। अमृत मिशन योजना के तहत खूंटाघाट बांध से बिलासपुर में पानी लाने के लिए पाइप लाइन बिछाई जा रही है लेकिन पानी तभी मिल पाएगा जब इस बांध में अहिरन नदी से पानी आएगा। यह काम अभी शुरू नहीं हुआ है।
बिलासपुर में जल संकट काफी कुछ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के नियमों को कड़ाई से लागू नहीं करने के कारण उपजा है। शहर के करीब डेढ़ लाख घरों, सरकारी दफ्तरों तथा व्यवसायिक परिसरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की जरूरत पर ध्यान नहीं जा रहा है। कलेक्ट्रेट के ही पास के अनेक सरकारी कार्यालयों में ये सिस्टम नहीं लगाए गए हैं जबकि इन्हें इसके लिए बजट स्वीकृत किया जाता है। यहां तक कि नगर निगम जिस पर इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है उसके भी अपने भवनों में सिस्टम नहीं लगा।
मई माह में नगरीय प्रशासन विभाग ने बिलासपुर सहित कुछ अन्य नगर निगमों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का सर्वे कर रिपोर्ट देने के लिए कहा था लेकिन यह सर्वे बीच में ही बंद कर दिया गया। नगरीय प्रशासन विभाग ने 7 जून तक रिपोर्ट मांगी थी तब 700 घरों में ये सिस्टम लगा पाया गया। वह रिपोर्ट अब तक भेजी नहीं गई है। बिलासपुर नगर निगम के विस्तार के बाद बड़ी संख्या में नई कालोनियां और निजी प्लाट पर मकान बन रहे हैं, मगर वहां पर रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जा रहा है या नहीं इसकी निगरानी नहीं की जा रही है। जब एक हफ्ते का सर्वे चलाया तो नगर निगम को पता चला कि कई लोगों ने इस सिस्टम को लगाने के लिए जगह भी नहीं छोड़ी है। आवासीय भवनों के लिए भवन अनुज्ञा अनुमति जारी करते समय 15000 रुपये जमा कराने का प्रावधान है जो सिस्टम लगाने के बाद लौटा दी जाती है लेकिन नगर निगम इस राशि को जमा करने के बाद यह भूल जाता है कि सिस्टम तैयार हुआ या नहीं। वहीं भवन मालिक भी अपना पैसा वापस लेने के लिए नहीं पहुंचते हैं। अर्थात वे इस सिस्टम को लगाने में रुचि नहीं लेते। व्यवसायिक भवनों के लिए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से शुल्क लिया जाता है लेकिन नक्शा पास होने के बाद ज्यादातर व्यावसायिक परिसर न तो अपनी राशि वापस लेने जाते न सिस्टम तैयार करते।
शहर में हर साल बढ़ते जल संकट को देखते हुए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर गंभीरता से काम किया जाए तो 40 प्रतिशत वर्षा का जल बचाया जा सकता है, जो रिचार्ज होकर शहर के वाटर लेवल को ठीक कर सकता है। पर अभी यह सारा पानी नालियों के जरिए बड़े नालों और फिर नदी में जा रहा है।