रायगढ़
सारंगढ़, 3 जुलाई। 30 जून को आयोजित राज्य स्तरीय वेबीनार में शिक्षा सचिव ने शिक्षा की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए पूरा दोषारोपण शिक्षकों पर कर दिया जो आपत्तिजनक है, इससे शिक्षकों के साथ ही शिक्षकों के लिए शिक्षा सचिव ने प्रयुक्त भाषा एवं शैली स्तर हीन है, उनके बयान से शिक्षकों का अपमान हुआ है, इसे लेकर छत्तीसगढ़ क्रांतिकारी शिक्षक संघ ने आपत्ति की है।
छत्तीसगढ़ क्रांतिकारी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष लैलूंन कुमार भारद्वाज ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की शिक्षा को सराहनीय पर शिक्षकों को कोई लाभ नहीं दिया गया, तब अधिकारियों ने वाहवाही लूटी अब निम्न स्तरीय शिक्षा पर सजा की बात विभाग कैसे कर सकता है? उत्कृष्ट शिक्षा पर अन्य विभाग कैसे आउट आफ टर्न प्रमोशन व भक्ता क्यों नहीं दिया गया।
शिक्षकों का प्रतिनिधित्व शिक्षक कर्मचारी संघ करते हैं उनसे सुझाव लेकर शिक्षा का क्रियान्वयन क्यों नहीं किया जाता। विभाग को दिए गए सुझाव पर कभी अमल क्यों नहीं किया जाता, ऐसे ही कई विषय है जिस पर शिक्षा विभाग को चर्चा करना चाहिए। शिक्षा को प्रभावित करने वाले बहुत से उत्तरदाई कारण है, जिन पर गहन चिंतन होना चाहिए। केवल शिक्षक को दोषी बनाकर शिक्षा सचिव ने केवल ठीकरा फोडऩे का कार्य किया है, इससे गुणवत्ता सुधार कार्य में न तो समाधान मिल सकेगा और ना ही उच्च अधिकारी अपने उत्तरदायित्व से बच पाएंगे।
शिक्षकों के लिए निकम्मा शब्द निंदनीय
शिक्षा विभाग के शिक्षक चयन की प्रक्रिया जटिल और पैनी बनाई है। हायर सेकेंडरी, स्नातक स्नातकोत्तर, डीएलएड, बीएड शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अभ्यर्थी शिक्षक बनने के काबिल होता है। कई स्तरों को पात्रता एवं योग्यता हासिल करने के बाद अभ्यर्थी बड़े कंपटीशन की परीक्षा (व्यापम) के बाद अभ्यर्थी लाखों के बीच से चुनकर शिक्षक बनता है, इसके बाद भी शिक्षकों को शिक्षा सचिव के द्वारा निकम्मा कहना निंदनीय है।