रायगढ़

क्रशरों को नियंत्रित करने पर्यावरण विभाग नाकामयाब
04-Jul-2022 4:56 PM
क्रशरों को नियंत्रित करने पर्यावरण विभाग नाकामयाब

दर्जन भर को नोटिस, पर सुधार नहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़,  4 जुलाई। 
क्रशरों से उडऩे वाले स्टोन डस्ट को नियंत्रित करने में पर्यावरण विभाग फेल हो गया है। पिछले दिनों करीब दर्जन भर क्रशरों को नोटिस देकर व्यवस्था बनाने का अल्टीमेटम दिया गया था, लेकिन एक भी क्रशर में यह व्यवस्था नहीं की गई। डोलोमाइट के क्रशर तो आज भी उसी गति से प्रदूषण फैला रहे हैं।

जिले में पर्यावरण विभाग केवल नाम का है। न तो किसी प्लांट को इस विभाग का खौफ है न ही प्रदूषण कम करने में कामयाबी मिली है। क्रशरों को भी नियंत्रित करने में विभाग फिसड़ी साबित हो रहा है। विभाग की टीम ने टिमरलगा और गुड़ेली के क्रशरों को नोटिस देकर स्टोन डस्ट को रोकने के लिए उपाय करने को कहा था।

क्रशिंग के समय मशीन को कवर कर पानी में डस्ट को डालने की व्यवस्था की जानी थी। सभी क्रशरें को बिजली काटने का भी नोटिस दिया गया था। मगर एक भी क्रशर की बिजली नहीं काटी गई इसलिए अब भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा ही हुआ है। लाइमस्टोन क्रशर के अलावा डोलोमाइट के क्रशरों में भी तकरीबन यही स्थिति है। कई क्रशरों की तो बाउंड्रीवॉल ही नहीं है। क्रशिंग के समय स्टोन डस्ट की आंधी जैसी चलती है। आसपास का पूरा वातावरण डस्ट के कारण धुंधला हो जाता है। दरअसल डस्ट कंट्रोल के लिए पर्यावरण विभाग जिन शर्तों पर अनुमति देता है उसे पूरा नहीं किया जाता।

कटंगपाली, साल्हेओना, जोतपुर, बिलाईगढ़ आदि क्षेत्रों में खेतों के बीच बिना बाउंड्रीवाल के क्रशर लगाया गया है जो स्टोन डस्ट से पानी के साथ बहकर खेतों में जा रहा है। इसलिए यहां की जमीनों की उपजाउ क्षमता कम हो चुकी है। प्रदूषण केवल हवा में नहीं बल्कि पानी और मिट्टी में भी हो रहा है।  
 

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