महासमुन्द

शिक्षा सत्र को 20 दिन बीते, बच्चों के स्कूल बसों की फिटनेस जांची नहीं गई
05-Jul-2022 2:58 PM
शिक्षा सत्र को 20 दिन बीते, बच्चों के स्कूल बसों की फिटनेस जांची नहीं गई

 ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 5 जुलाई।
सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार बच्चों के स्कूल बस में फि टनेस की अवधि, समय सीमा और खामियों को जांच करने का काम अभी तक महामसुंद जिला परिवहन विभाग ने शुरू नहीं किया है। जिले में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हुए 20 दिन का समय बीत गया है, लेकिन निजी स्कूल संचालकों के कितने बस फि ट हैं कितने अनफि ट, लाइसेंस, चालक परिचालक की स्थिति क्या है, इसके संबंध में अभी तक जानकारी जिला परिवहन विभाग नहीं जुटा पाई है। जिले के निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को घर से स्कूल और वापस घर पहुंचाने के लिए बसों व अन्य वाहनों की व्यवस्था की है, ताकि बच्चों को असुविधा न हो। बच्चों को लेकर शहर की सडक़ों पर दौड़ रही है। इन बसों में सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार व्यवस्था है या नहीं, फिटनेस की अवधि है या फिर समय सीमा समाप्त हो गई है, इन बसों में क्या कमियां हैं, इसकी जानकारी महासमुंद परिवहन विभाग ने नहीं जुटाई है।

जिला परिवहन अधिकारी रामकुमार ध्रुव का कहना है कोरोना काल के बाद बहुत से प्रबंधकों ने बस के पंजीयन रद्द करने के आवेदन भी दिए हैं। यातायात डीएसपी का अन्यत्र जगह ड्यूटी लगने के कारण टीम गठित नहीं हो पाई है। आने वाले एक दो दिनों में जल्द ही टीम बनाकर स्कूल बसों व अन्य वाहनों की जांच की जाएगी।

आरटीओ विभाग के अनुसार संचालित निजी स्कूलों में करीब 120 स्कूल बसें हैं, जो बच्चों को स्कूल व घर छोडऩे व लाने का काम कर रही हैं। पिछले दो सालों में कोरोना के चलते बच्चों की पढ़ाई ऑफलाइन की बजाए ऑनलाइन हुई है। जिसके चलते बसें स्कूलों में ही खड़ी रही। हालांकि पिछले वर्ष कुछ स्कूलों में बसों का उपयोग कुछ माह के लिए किया गया। लेकिन इस दौरान भी वाहनों की फिटनेस जांच नहीं हुई। अब इस वर्ष बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से ऑफलाइन हो रही है। इसके बाद भी वाहनों की फिटनेस जांच नहीं की गई है।

कई निजी स्कूलों में बसों के साथ छोटी निजी बाहन भी बच्चों को लाने.ले जाने के लिए उपयोग की जा रही है। लेकिन इन गाडिय़ों की नियमित जांच नहीं हो रही है। कई स्कूलों में तो प्रबंधन की जानकारी के बगैर ही गाडिय़ां चल रही हैं, जो नियम के मुताबिक गलत है। पिछले कुछ वर्षों में हुई घटनाओं के बाद गाडिय़ों की पूरी जानकारी पालक के साथ ही स्कूल प्रबंधन के पास होने के निर्देश दिए गए थे, जिसका पालन फिलहाल होता नहीं दिख रहा है।

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