रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 5 जुलाई। केन्द्र सरकार की सारी योजनांए , छत्तीसगढ़ के अधिकारियों / कर्मचारियों के लिए चारागाह बनी हुई है। जहां पीएम किसान योजना के तहत ट्रेक्टरों की बंदरबाट हो रही है , वहीं अब केन्द्र सरकार से प्राप्त 2हजार लाख रूपए जो गोठानों को समृद्ध बनाने के लिए दिया गया है , वह भी अब गटकने की तैयारी में है । पूर्व विधायक देवजी पटेल ने एक बयान में कहा कि छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार बकायदा 250 गोठानों का लक्ष्य तैयार कर राशि जून के प्रथम सप्ताह में जिला स्तर पर लक्ष्य बनाकर दे दिया है , और गोठानों में कस्टम प्रोसेसिंग सेंटर की स्थापना हेतु तेल मिल , दाल मिल , आटा , मिनी राईस मिल प्रसंस्करण इकाई स्थापना के निर्देश भी दिया । मगर सरकार के मगरमच्छ जानबूझकर गोठानों के लिए खरीदे जाने वाले उपकरण को बीज निगम , कृषि विकास निगम के लिए अनुमोदित रेट पर खरीदने को बाध्य कर दिया। पटेल ने कहा कि प्रसंस्करण के लिए चिन्हित उपकरण के ना तो इनके पास निर्धारित दर है , और ना इस दिशा में किसी भी प्रकार का अनुभव , मगर गोठानों को बाजार से खुली प्रतिस्पर्धात्मक दर पर खरीदी के लिए जानबूझकर रोका जा रहा है , जिससे सरकारी तंत्र अपनी रोटी सेंक सके । कहा तो यह जा रहा है कि सरकार स्तर से लक्ष्य तो तैयार कर दिया , मगर किन गोठानों में प्रसंस्करण लगेगा , यह सब पूरी तरह लेनदेन से हो रहा है । गोठानों के लगने वाले प्रसंस्करण उपकरण की दर ना तो शासन के पास है , ना ही मंडी बोर्ड , बीज निगम के पास और यही से खेल हो रहा है । प्रत्येक गोठान के लिए 8 लाख तय है , जिसमें तेल मिल , दाल मिल , आटा मिल राईस मिल प्रसंस्करण इकाई स्थापना प्रस्तावित है , इसके दर बाजार में क्या है ? सेन्ट्रलाईज खरीदी पर क्या छूट मिलेगी? कैसे अधिक से अधिक गोठानों को जोड़ा जाए इधर किसी का ध्यान नही ।