रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 जुलाई । छत्तीसगढ़ प्राईवेट स्कूल मेनेजमेंट एसोसियेशन ने संचालक ने स्कुल शिक्षा विभाग से मांग की है कि आरटीई के बच्चों को वास्तविक दर से किताबें,ड्रेस और स्टेशनरी उपलब्ध कराएं। संचालक स्कूल शिक्षा के आरटीई 2009 के अंतर्गत निजी गैर अनुदान प्राप्त विद्यालयों में प्रवेशित विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक, गणवेश एवं लेखन सामग्री उपलब्ध कराने के संबंध में पत्र क्रमांक 293, 5 जुलाई के हवाले से एसोसिएशन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने याचिका क्रमांक 52 / 2017 में आदेश 21 अगस्त 2017 में यह निर्देश दिया कि पाठ्य पुस्तक, गणवेश एवं लेखन सामग्री ना दी जाकर उसके एवज में राशि का भुगतान किया जाना उचित नहीं है।
इस याचिका में हाईकोर्ट ने अधिनियम 2009 के परिपालन में राज्य शासन / स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है पत्र क्रमांक 293, 5 जुलाई 22 में स्कूल शिक्षा विभाग निजी गैर अनुदान प्राप्त विद्यालयों को निशुल्क पाठ्य पुस्तक गणवेश एवं लेखन सामग्री उपलब्ध कराने के लिए बाध्य कर रहा है जबकि हाईकोर्ट के आदेश में ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं है कि यह सामग्री अशासकीय विद्यालयों को प्रदान करनी है।
उच्च न्यायालय के आदेश में निजी गैर अनुदान प्राप्त विद्यालयों को ना ही पक्षकार बनाया गया था ना ही उनसे कोई कानूनी राय ली गई है इसलिए इस संदर्भ में निजी विद्यालयों को बेवजह घसीटना ठीक नहीं है। इस संदर्भ में छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने माननीय उच्च न्यायालय 150 में याचिका क्रमांक 4 01-53065 / 2023 दाखिल की है तथा मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।
एसोसिएशन ने कहा कि याचिका क्रमांक 52/2017 के आदेश के आलोक में लोक शिक्षण संचालनालय का पत्र क्रमांक 154, 3 अप्रैल 2021 तथा पत्र क्रमांक 293, 5 जुलाई 22 को तुरंत प्रभाव से निरस्त कर निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत प्रवेशित विद्यार्थियों को वास्तविक दर से पाठ्य पुस्तक, गणवेश एवं लेखन सामग्री उपलब्ध कराए।