बलरामपुर

दबंगई से किया रास्ता बंद, ग्रामीणों ने श्रमदान से बनाया
16-Jul-2022 9:27 PM
दबंगई से किया रास्ता बंद, ग्रामीणों ने श्रमदान से बनाया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रामानुजगंज,16 जुलाई।
रामचंद्रपुर विकासखंड के अंतर्गत गांव में पंचायत सचिव व एक व्यक्ति की दबंगई दबंगई ऐसी थी कि आने जाने वाले मुख्य मार्ग जो सेटलमेंट में भी रास्ता था, उसे 4 वर्षों से बंद कर दिया गया था, जिसके बाद गुस्साए वार्डवासियों ने श्रमदान से यहां रास्ते को बनाया, जिसके बाद अब वार्ड के लोगों का रास्ते से आना-जाना हो सकेगा।

 ग्राम नवाडीह के पीपरपारा वार्ड में करीब 40 परिवार रहते हैं। आरोप है कि  इस पारा में जाने वाले मुख्य रास्ते को गांव के ही एक दबंग व्यक्ति एवं एक पंचायत सचिव के द्वारा जुताई कर 4 वर्ष पूर्व बंद करा दिया गया था, जिसके बाद वार्ड के लोगों ने अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों के दरवाजे तक दस्तक दी, परंतु रास्ता जो बंद कर दिया गया था, उसे नहीं चालू कराया जा सका था।

इस बीच बरसात के समय में वार्डवासियों की परेशानी और बढ़ गई थी, तब जाकर वार्ड के सभी घर के लोगों ने एक राय होकर हाथ में कुदाल लेकर रास्ता खुद श्रमदान करके बनाया एवं अब वह रास्ता वार्ड के लोगों का आना-जाना हो सकेगा। लोगों में पंचायत सचिव एवं दबंग व्यक्ति के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा दिखा।

3 किलोमीटर घूमकर स्कूल जाने को थे मजबूर बच्चे
गांव के दबंगों के आगे बच्चों की भी परेशानी बढ़ गई थी, इसलिए ऐसी थी कि जो बच्चे 1 किलोमीटर से भी कम दूरी तय करके स्कूल पहुंच सकते थे, उन्हें 3 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी, ऐसे में बच्चों को बहुत परेशानी होती थी। दबंगों के द्वारा जिस रास्ते को बंद कर दिया गया था, उसी रास्ते से होकर शिव मंदिर, पुराना छठ घाट सहित अन्य देव स्थल है, परंतु दबंगों के आगे 4 साल से सभी बेबस लाचार थे। जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाए थे।

हर एक घर के सदस्य ने श्रमदान करके बनाया रास्ता
4 वर्षों से त्रस्त वार्ड वासियों का गुस्सा गुरुवार को फूट पड़ा वार्ड के हर एक घर के सदस्य रास्ता बनाने पहुंचे एवं दिन भर श्रमदान करके आखिर का रास्ता बना ही दिया, जिसके बाद ही वार्ड वासियों ने राहत की सांस ली। इस संबंध में समाजसेवी संतोष यादव ने बताया कि ग्राम नावाडीह का पीपरपारा में आने जाने के लिए रास्ते को गांव के कुछ लोगों के द्वारा बंद कर दिया गया था, हालत ऐसी थी कि एंबुलेंस तक वार्ड में नहीं जा सकता था, विकास की मुख्यधारा से भी वार्ड पिछड़ा था, बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही थी। इस बीच वार्ड के लोगों के द्वारा घेरे गए रास्ते को काटकर फिर से आने-जाने के लिए रास्ता बनाया।

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