गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 17 जुलाई। गरियाबंद जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन वहां तक पहुंच नहीं होने और दुर्गम रास्तों के चलते इन स्थानों का विकास नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि जिले के ही ज्यादातर लोगों को यहां के प्राकृतिक जलप्रपातों की जानकारी अब तक नहीं है। प्रकृति के गोद में बसा एक ऐसा गांव, जहां प्रकृति ने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया है। घने जंगलों और हरी-भरी वादियों के बीच लगभग तीन किलोमीटर दूर से ही झरझरा जल प्रपात से निकलती कल-कल की आवाज लोगों को आकर्षित करने लगती है।
झरझरा जल प्रपात जिले के कम लोग ही जानते है। जो जानते है वे ग्रामीणों की मदद से साल में उन दिनों आते है जब मौसम खुशमुना हो और मनोरजंन का हो। इस झरझरा जल प्रपात की खासियत यह है कि यह जंगल के बीच प्रकृति की गोद में बसा है। झरझरा जलप्रपात जाने के लिए लोगों को मुरमुरा गांव से मूरूम भरे रास्ते पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। गाँव से इसकी दूरी 2 से 3 किलोमीटर पहाड़ी पर है। यहां से आना और जाना बहुत ही आसान है। झरझरा जलप्रपात राजिम मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर है। जबकि राजधानी रायपुर से 70 किमी की दूरी पड़ेगी। यहां पहुंचने के लिए राजिम या फिंगेश्वर से आसानी से पहुंच सकते हैं। राजिम से कौंदकेरा, तरीघाट, सहसपुर, घुरसा से मुरमुरा गांव पहुंच सकते है। मुरमुरा गांव के ही पहाड़ी पर झरझरा जलप्रपात का मनोरम दृष्य दिखाई देगा। यदि आप फिंगेश्वर से आना चाहते हैं, तो फिंगेश्वर से बेलर मार्ग होते हुए छुईहा, जमाहि, फुलझर से घुरसा होते हुए मुरमुरा गांव पहुंच सकते हैं। मुरमुरा गांव से 2 से 3 किमी की दूरी में कच्चा रास्ते होते हुए झरझरा पहुंच सकते हैं। आप दो पहिया, चार पहिया वाहन में आसानी से पहुंच सकते हैं।
अभी मां झरझरा वाटरफाल को देखने एवं मनोरंजन पिकनिक पार्टी के लिए लोगों का आना-जाना चालू हो गया है। यहां पिकनिक एवं पार्टी के लिए बेहतरीन स्पॉट माना जाता है जहां चारो ओर घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहाँ जतमाई एवं घटारानी जैसा नजारा यहां भी देखने को मिलता है। मां झरझरा को जतमाई और घटारानी माता को तीनो देवी को बहन कहा जाता है, जो पास ही में अलग-अलग स्थान पर है तीनों दृश्य लगभग एक ही नजारा में खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य घने जंगलो पर है, वहीं तीनों स्थान पर झरने बहते है।