गरियाबंद
पत्रकार वार्ता में रखी चतुर्मास पर अपनी बात
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 22 जुलाई। भारत महापुरुषों का देश है, यहां संत महात्मा जन्म लेकर भारतीय संस्कृति को ऊंचाई प्रदान किए हैं। भारत में सुकून, आनंद और शांति है वह दुनिया के ंिकसी कोने पर नहीं मिलेगी। पाश्चात्य संस्कृति से हटकर भारतीय संस्कृति में जिएं। उक्त बातें गुरुवार को शाम शहर के सदर रोड स्थित जैन भवन में पहुंची गुरु मां गणिनी आर्यिका 105 सौभाग्यवती ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं। उन्होंने भारतीय संस्कृति का गुणगान करते हुए कहा कि कोई आदमी विदेश से जब भारत आता है और एयरपोर्ट पर जैसे ही उनकी एंट्री होती है तो अनायास ही उनके मुख से यह शब्द निकल पड़ता है कि सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। इसे सोने की चिडिय़ा भी कहा जाता है। दूसरे देशों की नजर हमेशा भारत पर होती है क्योंकि अच्छी चीजें पर सबकी नजर रहती है।
उन्होंने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि नशा जीवन को नाश करने का साधन है। शराब, सिगरेट, बीड़ी पीते नहीं, गुटखा हम खाते नहीं बल्कि वह हमें धीरे-धीरे करके खा जाती है। मादक पदार्थों से दूरी बनाकर रहने में ही समझदारी है। गुरु मां गणिनी आर्यिका ने बताया कि चतुर्मास करने का एकमात्र उद्देश्य लोगों में जागृति लाना है। वर्तमान में बच्चे से लेकर बड़ों तक में मोबाइल का बुखार चढ़ा हुआ है यदि इससे हटकर समय व्यतीत करें और ईश्वर नाम की माला फेरे तो जीवन में परिवर्तन दिखेगा। इससे परिवार के लिए समय भी मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि आज नकल करने की परंपरा तेजी से बढ़ रही है। नायक खलनायक के नकल करते लोग अक्सर दिख जाते हैं यदि नकल करना ही है तो संतो की नकल करो ताकि परमात्मा की सकल देने में वह मदद करेगी। साधु संतों का सानिध्य जीवन की दशा और दिशा दोनों बदल देती है अच्छे और बुरे संतों की पहचान करने में सबसे सरल माध्यम उनके बात करने की ढंग है जो पहचान करा देती है। लालच अच्छे और बुरे का भेद सामने लाकर रख देती है। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग पर कहा कि वातावरण को शुद्ध रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने की जरूरत है। इससे वातावरण शुद्ध होता है बल्कि प्रकृति की सुंदरता भी बनी रहती है। इस मौके पर उपस्थित सभी पत्रकारों का पेन एवं डायरी भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से बाल ब्रह्मचारी पंकज भैया, किशोर सिंघई अध्यक्ष दिगंबर जैन पंचायत कमेटी नवापारा, डॉ राजेंद्र गदिया स्वागताध्यक्ष, रमेश पहाडिय़ा संरक्षक दिगंबर जैन पंचायत समिति, पंडित ऋषभ चंद शास्त्री, निर्मल नाहर स्वप्निल चौधरी, रमेश रावका सहित समाजिकजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
700 किमी की पदयात्रा कर नवापार पहुंची गुरू मां
गुरु मां गणिनी आर्यिका झारखण्ड के पाशर्वनाथ से 7 सौ किलोमीटर की पदयात्रा कर चातुर्मास हेतु नवापारा आई है। स्थानीय नवापारा जैन समाज के अथक कठिन प्रयास व आस्था के लगभग 14 साल बाद कोई जैन साध्वी का चातुर्मास हो रहा है। गुरु माता सौभाग्यमति माताजी आचार्य सिद्धांत सागर जी महाराज की शिष्या है। वह मुलरूप से मध्यप्रदेश की है। जिन्होने 17 वर्ष की आयु में ही गृहस्थ जीवन त्याग कर दीक्षा के लिए आ गई थी। उन्होंने 20 वर्ष की उम्र में दीक्षा प्राप्त कर साध्वी बन गई। बहुत ही कम उम्र में गढ़ी तत्व प्राप्त कर माताजी आज जैन धर्म का प्रचार सहित ज्ञान व शिक्षा लोगो की प्रदान कर रही है। उनका मानना है की समाज में अगर धर्म नहीं होगा तो वहां कुछ नहीं होगा। इसलिए उन्होंने चातुर्मास के दौरान ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचने उनसे मिलकर उन्हें धर्म, धार्मिक अनुष्ठान, भारतीय संस्कृति की महत्ता, पाश्चात्य संस्कृति से दूरी पर ज्यादा से ज्यादा लोगो को जागरूक करने का कार्य कर रही है। उन्होंने सभी मानव समुदाय के लिए सुखमय व शांति पूर्ण जीवन की कामना की।