सूरजपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिश्रामपुर, 22 जुलाई। करीब चार साल से बंद पड़ी एसईसीएल की आमगांव ओपनकास्ट परियोजना में कोयला उत्पादन कार्य पुन: शुरुआत होने से प्रबंधन ने राहत की सांस ली है। पहले दिन रात्रि पल्ली में 345 टन कोयला उत्पादन किया गया। लंबे अरसे से हर साल सैकड़ों करोड़ के घाटे में चल रहे बिश्रामपुर क्षेत्र के लिए शुभ संकेत माना जा रहा है। इस खदान में पौने चार साल से कोयला उत्पादन बंद रहने से कंपनी को तीन सौ करोड़ से अधिक का घाटा हो चुका है।
अधिग्रहित भूमि का आधिपत्य मिल पाने में आ रही अड़चनों के कारण करीब चार वर्षों से बंद पड़ी एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र की आमगांव ओपन कास्ट परियोजना में क्षेत्रीय महाप्रबंधक अमित सक्सेना की लगातार कोशिश के बाद अंतत: बीते बुधवार की रात 11 बजे कोयला उत्पादन शुरू हो गया है। तमाम मशक्कत के बाद 10 जून को खदान में ठेकेदार द्वारा ओबी उत्पादन ( कोयला सिम के ऊपर की मिट्टी हटाने ) का कार्य प्रारंभ किया था। ठेका कंपनी के संचालक कन्हैया अग्रवाल व महाप्रबंधक सक्सेना की सफल कार्ययोजना के कारण डेढ़ माह से भी कम अवधि में करीब नौ लाख क्यूबिक मीटर ओबी उत्पादन कर लेने की वजह से चार साल से बंद खदान में कोयला उत्पादन प्रारंभ हो सका।
महाप्रबंधक सक्सेना समेत सब एरिया मैनेजर पीसी साहू, केसी साहू स्टाफ आफिसर प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग, एमके चौधरी स्टाफ आफिसर माइनिंग व खान प्रबंधक केके भोई ने बुधवार की रात में विधिवत पूजा-अर्चना व नारियल फोडक़र कोयला उत्पादन का शुभारंभ किया। कामगारों का मुंह मीठा कराते हुए खुशी का इजहार भी किया गया।
ज्ञात हो कि एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्रीय प्रबंधन द्वारा आमगांव ओपनकास्ट परियोजना के लिए खान प्रभावित ग्राम पटना की 377 हेक्टेयर निजी स्वामित्व की भूमि सीबी एक्ट के तहत अधिग्रहण की गई थी, किन्तु अधिग्रहित भूमि का आधिपत्य मिल पाने में आ रही अड़चनों के कारण आमगांव परियोजना में 13 सितंबर 2018 से कोयला उत्पादन पूरी तरह बंद था। खान प्रभावित ग्राम पटना के 464 प्रभावित भू स्वामियों अथवा उनके आश्रितों को अधिग्रहित भूमि के बदले नौकरी दिया जाना निर्धारित है।
प्रबंधन की लगातार कोशिश के कारण नौकरी संबंधित करीब एक सौ प्रकरण प्रक्रियाधीन है। प्रथम चरण में 20 को नौकरी के लिए नियुक्ति आदेश भी दे दिया गया है। बीस और लोगों को नौकरी देने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है
आमगांव ओपन कास्ट परियोजना हेतु सीबी एक्ट के प्रावधानों के तहत चार ग्रामो क्रमश: साल्ही, पटना, कोट व पटना की 810 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है। जिसके एवज में एसईसीएल प्रबंधन द्वारा भू स्वामियों को बतौर मुआवजा करीब सौ करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है, वहीं ग्राम साल्ही की 217 हेक्टेयर निजी भूमि के एवज में पूर्व में 247 लोगों को नौकरी दी जा चुकी है।
केंद्र व राज्य सरकार की अनुमति से करीब डेढ़ माह से ग्राम साल्ही की 112 एकड़ राजस्व वन भूमि में ओबी उत्पादन का कार्य आउट सोर्सिंग के जरिए बर्बरीक प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। पटना गांव के प्रभावित भू स्वामियों अथवा उनके आश्रितों को नौकरी दिए जाने के बाद दूसरे चरण में ग्राम पटना में निजी स्वामित्व की 120 एकड़ भूमि में ओबी उत्पादन किया जाएगा।