जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुरनगर, 26 जुलाई। शासकीय मदद नहीं मिलने पर 19 साल के रितिक ने खुद के खर्च से पत्थलगांव से जशपुर लाकर 10 दिव्यांगों का प्रमाण पत्र बनवाया।
ज्ञात हो कि शासकीय योजनाओं का लाभ लेने के लिए दिव्यांगों के पास शासन की ओर से जारी प्रमाण पत्र होने की अनिवार्यता है। चिकित्सकों की टीम के द्वारा शारीरिक परीक्षण के बाद ही उन्हें प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। जिला मुख्यालय में जिला अस्पताल में पदस्थ चिकित्सकों की उपस्थिति में दिव्यांग की जांच कर उनके दुर्बलता का प्रतिशत के अनुसार उन्हें प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। जशपुर से 100 किलोमीटर दूर होने की वजह से पत्थलगांव विकासखंड के दिव्यांग ग्रामीणों को प्रमाण पत्र के लिए परेशान होना पड़ता है। पत्थलगांव में दिव्यांग प्रमाण पत्र के लिए पहले समय-समय पर शिविर का आयोजन किया जाता था, लेकिन अब कुछ वर्षों से आयोजन नहीं होने की वजह से दिव्यांगों का प्रमाण पत्र बनवाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दिव्यांग प्रमाण पत्र न होने की वजह से परेशानी झेल रहे पत्थलगांव वासियों को देखकर 19 वर्ष के रितिक गर्ग को उनकी परेशानी को दूर करने की चिंता होने लगी। पेशे से राईस मिल संचालक युवा रितिक गर्ग ने बताया कि उन्होंने इनोवा कार किराए में लेकर उसमें 7 दिव्यांगों को और 3 को सवारी बस में भेजकर उन्हें जशपुर पहुंचाया। 2 कान से दिव्यांग, नेत्र के और 6 हाथ पैर से दिव्यांगों को रितिक गर्ग ने अपने खर्च से जशपुर जिला अस्पताल लाया और चिकित्सकों की टीम से जांच कराकर उन्हें वापस पत्थलगांव ले गए। लाने ले जाने के साथ ही उनके खाने-पीने तक का इंतजाम कराया।
शिविर की समस्या
रितिक गर्ग ने बताया कि दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने और जांच के लिए नगर पंचायत की ओर से शिविर का आयोजन किया जाता है। इसके लिए उनके पास शासन से फंड भी आता है। लेकिन वे रूचि नहीं लेते हैं, इसलिए जरूरतमंद दिव्यांगों को परेशान होना पड़ता है।