कोरिया

शिक्षक बिना स्कूल तो कुछ स्कूलों को अतिथि शिक्षकों ने संभाला
27-Jul-2022 3:13 PM
शिक्षक बिना स्कूल तो कुछ स्कूलों को अतिथि शिक्षकों ने संभाला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया),  27 जुलाई।
अपनी मांगों को लेकर शिक्षक आंदोलन पर है जिससे जिले भर के सरकारी विद्यालयों में अध्ययन अध्यापन का कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। स्कूल खुल रहे है लेकिन बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नही है वैकल्पिक व्यवस्था बनाने में भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिक्कत हो रही है क्योंकि शिक्षक आंदोलन पर चले गये है। वहीं कुछ स्कूलों में अतिथि शिक्षकों ने पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी है, सोनहत के सुंदरपुर के अतिथि शिक्षकों के कारण यहां व्यवस्थित पढ़ाई जारी है।

जानकारी के अनुसार शिक्षकों के आंदोलन पर जाने का सबसे ज्यादा असर प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शालाओं में देखने को मिल रहा है। किसी तरह विद्यालय खुल रहे है और मध्यान्ह भोजन खाकर समय होने पर बच्चे घर लौट रहे है। जानकारी के अनुसार केंद्र के समान स्वीकृत महंगाई भत्ता देने तथा सातवे वेतनमान के अनुसा एचआरए स्वीकृत करने की मॉग को लेकर बीते 25 जुलाई से प्रदेश भर के शिक्षक आंदोलन पर चले गये है। जिस कारण विद्यालयों में अध्ययन अध्यापन का कार्य प्रभावित हुआ है।

इस दौरान जिले के हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों के द्वारा अध्यापन कार्य कराया जा रहा है।  27 जुलाई को सोनहत विकासखंड अंतर्गत संचालित हायर सेकेण्डरी स्कूल सुन्दरपुर में में  210 पंजीकृत विद्यार्थियों में 187 विद्यार्थी विद्यालय में अध्ययन करने पहुॅचे जिन्हें सिर्फ अतिथि शिक्षकों के भरोसे ही पढ़ाई करनी पड़ी। अतिथि शिक्षक अमित शर्मा, त्रिलोकी शाडिल्य, दिव्या विश्वकर्मा, मुकेश कैवर्त ने इस स्कूल को बंद नहीं होने दिया है, यहां सतत अध्ययन जारी है। इसी तरह का हाल जिले भर के स्कूलों में है लेकिन जिले के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शालाओं में आस पास के स्कूलों से किसी को अटैच कर दिया गया है जो केवल विद्यालय का संचालन समय पर कर रहे है लेकिन विद्यालयों में पढाई नही हो रही है इस तरह शिक्षकों के आंदोलन पर जाने का असर विद्यालयों में दिखाई दे रहा है।

नये सत्र में भी शिक्षकों की कमी
नये शिक्षा सत्र में भी जिले के अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। प्राथमिक शालाओं से लेकर हा.से. स्कूल तक शिक्षकों की कमी बनी हुई है। सिर्फ आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम व हिन्दी माध्यम विद्यालयों में पूरे पद स्टाप भरे गये है जबकि शेष स्कूलों में शिक्षकों के साथ अन्य स्टाप की कमी बनी हुई है ऐसे में विद्यालयों में गुणवत्ता की उम्मीद कैसे की जा सकती है। यदि सभी स्कूलों में विषयवार शिक्षकों के रिक्त पदों को भर दिया जाता है तो निश्चित रूप से सभी स्कूलों का परिणाम उत्कृष्ट होगा। जिले के ज्यादातर स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण पढाई प्रभावित हेा रहा है जिससे विद्यार्थियों को ही नुकसान पहुंच रहा है।

कई विद्यालयों में सिर्फ दो ही शिक्षक
जिले के ज्यादातर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे है जहॉ सिर्फ दो ही शिक्षक पदस्थ है। कई प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला ऐसे भी है जहॉ की दर्ज संख्या  50 से पार है उसके बाद भी दो ही शिक्षक पदस्थ किये गये है। ऐसे में समझा जा सकता है कि बच्चों को गुणवत्तावुक्त शिक्षा कैसे मिल पायेगी जबकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी होन के बावजूद शिक्षको की कमी के कारण चाहकर भी शिक्षकों की कमी दूर नही कर पा रहे है। जानकारी के अनुसार मिडिल स्कूलों में विषयवार शिक्षक होने चाहिए लेकिन ऐसा नही है।  जिले के कई मिडिल स्कूल दो ही शिक्षकों के भरोसे है जिनमें से एक शिक्षक हेडमास्टर का दायित्व संभाल रहे है जिन्हे आये दिन विभागीय जानकारी तैयार करने में व्यस्त देखा जा सकता है। इसके अलावा जाति निवास प्रमाण पत्र के लिए भी उन्हे समय देना पड रहा है इस तरह एक ही शिक्षक ज्यादातर अध्यापन में ध्यान देता है जो कि पर्याप्त नही है।
 

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