बलौदा बाजार
माहभर में 100 से अधिक सफ़ल ऑपरेशन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार,31जुलाई। कलेक्टर रजत बंसल के निर्देश के अनुरूप जिले में जारी स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रम के माध्यम से आम जनता को सुविधा प्रदान की जा रही है। इस कड़ी में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एम पी महिस्वर एवं सिविल सर्जन,अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉक्टर राजेश कुमार अवस्थी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत प्रदेश सहित जिले में भी मोतियाबिंद मुक्त अभियान के तहत सर्वे का कार्य ग्राम स्तर पर किया गया।
जिसके तहत ग्राम स्तर पर मितानिनों द्वारा कुल 2153 मरीजों का सर्वे कार्य किया गया जिसमें उक्त सभी का सत्यापन जिले के नेत्र सहायक अधिकारियों ने किया। इनमें से 345 ऐसे मरीज मिले जिन्हें दोनों आंखों में मोतियाबिंद पाया गया। ऐसे केस में मरीज को तीन मीटर से अधिक दिखाई नहीं देता। उक्त मरीजों में से विकासखंड बलौदाबाजार में 57, भाटापारा में 38,कसडोल में 127, पलारी में 28,सिमगा में 40 और बिलाईगढ़ में 55 मरीज चिन्हाकित हुए है। चिन्हित मरीजों में से अब तक 118 का सफलतापूर्वक मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जा चुका है। जबकि शेष की प्रक्रिया जारी है इनमें से 105 ऑपरेशन जिला अस्पताल में जुलाई माह में ही किए गए हैं।
डॉ अवस्थी ने बताया कि जिला अस्पताल में प्रतिदिन मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए जाते हैं इसके लिए स्मॉल इंसीजन और फेको दोनों ही पद्धति की सुविधा उपलब्ध है। आधे घंटे के भीतर ऑपरेशन हो जाता है ऑपरेशन के पश्चात चश्मा ड्रॉप सहित भर्ती के दौरान भोजन भी दिया जाता है यह ऑपरेशन पूरी तरह से निशुल्क है। बिलाईगढ़ की 85 वर्षीय वृद्ध महिला श्रीमती फिरमति सिदार जो विगत पंद्रह वर्षों से इस रोग से पीडि़त थी तथा ऑपरेशन के भय एवं कई प्रकार की भ्रांतियों के कारण ऑपरेशन करवाने से मना कर रही थी। उनके परिजनों ने बताया कि सोनाखान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के नेत्र सहायक अधिकारी उद्धव पटेल द्वारा कई बार समझाइश एवं ऑपरेशन के संबंध में भ्रांतियों के निराकरण के पश्चात वह तैयार हो गई तथा आज ऑपरेशन के पश्चात उनकी नेत्र ज्योति पूर्व जैसी हो गई है एवं वह बहुत प्रसन्न हैं। ऐसा ही एक ऑपरेशन डेवलपमेंट मोतियाबिंद का किया गया जिसमें किसी अन्य रोग के कारण मोतियाबिंद हो जाता है । इस रोग से पीडि़त ग्राम चांदन के 20 वर्षीय रितेश भोई के परिजनों ने बताया कि जब उनका बेटा 11 वर्ष का था तभी उसके चेहरे पर दाग धब्बे होने लगे तत्पश्चात उसकी दृष्टि में भी धुंधलापन आ गया और 19 साल की उम्र तक उसे दिखाई देना बंद हो गया ।
जिला अस्पताल में हुए ऑपरेशन से अब उसे पूरी तरह दिखाई देने लगा है।उन्होंने कहा कि, उम्र के साथ कई लोगों में आंखों के कुदरती लेंस में सफेद जाली सदृश्य हो जाता है जिसके कारण धुंधला दिखाई देता है जो कि मोतियाबिंद है। इलाज न करवाने पर यह बढ़ता जाता है और नेत्र ज्योति को नुकसान होता है।ऑपरेशन करवा लेने से यह पूरी तरह ठीक हो जाता है तथा मरीज को पूर्व की तरह दिखाई देने लगता है।