बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 8 अगस्त। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के घुमका जहां पर शराबबंदी को लेकर एक बेहतरीन पहल करते हुए कठोर नियम कानून भी बनाए गए हैं। अब इस गांव ने महिलाओं की ताकत को समझा और महसूस किया है और समानता को लेकर एक बेहतर कदम इस गांव ने उठाए हैं जिसके तहत यहां पर ग्राम समिति जहां पर विशेष रूप से पुरुषों का दायित्व होता है, वहां पर महिलाओं को भी स्थान दिया गया है ताकि वे शराबबंदी के इस मसले पर अपनी राय रख सके और ग्रामीण परिवेश को एक नई दिशा दे सके।
समानता की शुरुवात
इस गांव से एक समानता की शुरुआत की नींव रखी गई है। अक्सर देखा जाता है कि गांव में जो समितियां होती है उसे पूर्व संचालित करते हैं और इस गांव के लिए शराबबंदी का पक्ष भी महिलाओं ने रखा था जिसके बाद से इसे अमल में लाया गया और आज यह गांव प्रदेश सहित देश के नक्शे पर भी एक अलग पहचान बना रहा है।
सामाजिक संगठन में भी महिलाओं का स्थान
स्थानीय जनपद सदस्य शारदा सिन्हा ने बताया कि गांव से महिलाओं को समानता का अधिकार मिलने लगा है ग्रामीणों ने इस बात को अमल में लाया है कि महिलाओं के बिना हम कुछ भी नहीं हैं महिलाओं के हस्तक्षेप से ही आज इतना बड़ा फैसला सफल हो पाया है इसलिए जितने भी सामाजिक संगठन हैं उनमें अब महिलाओं की भागीदारी समान होगी।
ग्राम घुमका में इस फैसले के पीछे एक कहानी यह भी है कि गांव वाले शराब की अवैध बिक्री और कई समस्याओं से खासे परेशान थे। बैठक के 1 दिन पूर्व ही सरपंच के पति ने थाने में इस बात की जानकारी दी थी कि जल्द ही कोई फैसला ले अन्यथा हम सभी ग्रामवासी थाने तक पहुंच जाएंगे जिसके बाद पुलिस द्वारा वहां विशेष अभियान चलाते हुए ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई, जिन व्यक्तियों के खिलाफ यह कार्रवाई हुए, उनके परिजनों ने आकर गांव में गाली गलौज की, जिसके बाद यहां पर एक पहल की शुरुआत हुई। ग्रामीण एक मंच पर आए और शराबबंदी का फैसला लिया, जहां पर शराब बेचने या खरीदने पर गांव में 51 हजार शराब पीकर बहस करने पर 20 हजार और डिस्पोजल इत्यादि बेचना भी प्रतिबंधित किया गया है।