रायपुर

मां की ममता और पिता की क्षमता दुनिया में सबसे महान है-राष्ट्रसंत ललितप्रभजी
08-Aug-2022 5:50 PM
 मां की ममता और पिता की क्षमता दुनिया में सबसे महान है-राष्ट्रसंत ललितप्रभजी

रायपुर, 8 अगस्त। ‘‘हर आदमी जब दुनिया में आता है और पहली बार अपना मुंह खोलता है तो एक ही महान शब्द निकलता है माँ। प्यारी माँ मुझको तेरी दुआ चाहिए, तेरी आँचल की ठंडी हवा चाहिए। पूरे ब्रह्माण्ड में जन्नत-सा सबसे मीठा-मधुर शब्द, जिसे हम सब बड़े सम्मान के साथ बोलते हैं वह है माँ।

माँ तूने तीर्थंकरों को जन्मा है, तेरे ही दम पर ये जग बना है। तू ही पूजा है, तू ही मन्नत है मेरी, तेरे ही चरणों में जन्नत है मेरी। माँ वो है जो हमें दुनिया दिखाती है, माँ वो है जो हमें भगवान से मिलाती है।

माँ वो है जो हमें धरती पर लाकर घर के चाँद-सितारे जैसा बना देती है। माँ की क्या महिमा गाओगे, महिमा ही नहीं आत्मा, महात्मा, परमात्मा भी बोलोगे तो आखिर में मा ही आएगा। हजार लोग मिलकर भी एक माँ की कमी पूरी नहीं कर सकते, पर एक माँ हजारों की कमी पूरी कर सकती है।

इसीलिए माँ बड़ी महान है। दुनिया में माँ पृथ्वी स्वरूपा होती है और पिता परमात्मा स्वरूप होते हैं।मां की ममता और पिता की क्षमता दुनिया में सबसे महान है।’’

ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत परिवार सप्ताह के सातवें दिन रविवार को व्यक्त किए।

आज के दिव्य सत्संग में संतप्रवर की प्रेरक वाणी से ‘सोचो अगर माँ न होती’ विषय पर प्रवचन श्रवण करने हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। राजधानी व आसपास के इलाकों से बड़ी तादात में पहुंचे लोगों सहित मुंगेली, महासमुंद एवं भिलाई-तीन के श्रीसंघों ने आज की धर्मसभा व सत्संग को ऐतिहासिक रूप दे दिया। श्रद्धालुओं से खचाखच भरे पूरे पांडाल में बैठने की जगह शेष न रही।

माँ के सम्मान में तीस सेकेंड तक ताली बजाने के आह्वान के साथ माँ को समर्पित हृदयस्पर्शी गीत- तू कितनी भोली है, तू कितनी प्यारी है... से सत्संग की शुरुआत करते हुए संतप्रवर ने कहा कि अगर संतों की भी इस दुनिया में बानगी है और संत इस धरती पर चल रहे हैं तो उन्हें इस दुनिया में लाने वाली माँ ही है। महावीर अगर शुरू होते हैं तो ‘म’ से शुरू होते हैं और महादेव अगर शुरू होते हैं तो ‘म’ से शुरू होते हैं।

माँ को किया गया प्रणाम आत्मा को, महात्मा को, परमात्मा को किया प्रणाम है। क्योंकि ये सब माँ में समाए हुए हैं। माता-पिता की परिक्रमा पूर्ण करने वाले गणेशजी संसार में प्रथम पूज्य देव होते हैं।

जो व्यक्ति सुबह उठकर अपने माता-पिता की वंदना-परिक्रमा कर लेता है उसे 68 कोटि देवताओं की वंदना का पुण्य मिलता है। प्रणाम करो भगवान महावीर की महान आत्मा को जिन्होंने माँ के गर्भ में रहते हुए ही यह महासंकल्प लिया कि जब तक मेरे माता-पिता साथ रहेंगे, तब तक मैं संयम जीवन में नहीं जाउंगा।

दिव्य सत्संग के पूर्वार्ध में डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी ने धरती पर रूप माँ-बाप का, ये विधाता की पहचान है...इस भाववंदना के साथ सभी से अपने-अपने पूज्य माता-पिताजी की जय-जयकार करवाई।

हर दिन सेवा करके लें माता-पिता का आशीर्वाद

संतप्रवर ने आगे कहा कि दुनिया में जब तक किसी महिला का पति होता है तब तक वह अपने-आपको सौभाग्यवति कहती है। और पुरुष तब तक सौभाग्यशाली होता है जब तक उसके माँ-बाप होते हैं। महिला हो या पुरुष वो आजीवन तब तक सौभाग्शाली होता है जब तक धरती पर उसके माँ-बाप होते हैं। माँ की ममता का कर्ज जीवनभर उतारा नहीं जा सकता। एक बालक को जन्म देना, उसे पाल-पोस कर बड़ा करना तीन मासक्षमण तप से भी बड़ी साधना है। सुना है हमने कि श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थाटन के लिए कंधे पर कांवड़ लेकर निकला था। आज आप पहला नियम लो, मैं रोज नहीं, महीने में भी नहीं पर साल में एक बार अपने पूज्य मम्मी-पापा, दादा-दादी जो भी घर में वयोवृद्ध हैं, उनके लिए सात दिन का अवकाश लूंगा और उनको तीर्थयात्रा पर कांवड़ में नहीं कार में ले जाउंगा। इतना तो आप कर ही सकते हैं ना। नंबर दो- अगर आप कर सकते हो तो यह जरूर करो कि अपने माँ-पिता, दादा-दादी के साथ चौबीस घंटे में एक बार ही सही एक थाली में बैठकर खाना जरूर खाओ। जो भी महिला चाहती है कि मेरा बेटा श्रवण कुमार जैसा हो, मैं पूरी गारंटी के साथ आपको वचन देता हूं कि आपका बेटा श्रवण कुमार बनेगा, आपको केवल एक काम करना है- अपने पति को श्रवण कुमार बनाना है। मेरा दावा है उसका बेटा भी श्रवण कुमार जरूर बनेगा। नंबर तीन- महीने में एक बार अपने पूज्य माता-पिता को एक लिफाफा जरूर देना और कहना माँ ये सत्कर्म में, पुण्य कर्म में, दया-धर्म में लगा देना। हो सकता है जवानी में वे दान नहीं कर पाए क्योंकि आपको उन्हें पालना था। उस घर का भाग्य कमजोर होता है, जहां माँ-बाप को अपने बच्चों से पूछ-पूछ कर धर्म दान देना पड़ता है। एक काम और जरूर करना जब भी दान दो तो अपना नाम मत लिखाना, जब भी दान देना अपने पूज्य माता-पिता का नाम लिखाना। आपका नाम भी आपके बच्चे लिखा देंगे अगर आपने अपने माँ-बाप का नाम लिखा दिया तो।

हर सुबह माँ के वंदन से दूर हो जाएंगे सब गृह-दोष

संतश्री ने कहा कि जिनकी माताएं अब इस धरती पर नहीं हैं वे हर दिन अपनी पूज्य माँ के लिए यह प्रार्थना करें- हे ईश्वर तू उसे स्वर्ग में जगह दे, जिसने मुझे नौ महीना अपने पेट में जगह दी। कर सको तो एक काम और जरूर कर लेना अपने मम्मी-पापा की फोटो खींचकर अपने स्मार्ट फोन पर जरूर लगा लेना, अगर आपके किस्मत के दरवाजे न खुल जाएं तो मुझसे कहना। अगर आप चाहते हैं कि आपका पर्स हमेशा भरा रहे तो अपने मम्मी-पापा का फोटो उस पर्स में रख लेना। आपका वह पर्स अखंड भरा रहेगा। अगर आपको लगे कि मेरा भाग्य-नसीब खराब या शनि की महादशा चल रही है, तो सात दिन माँ-बाप के चरणों में धोक लगा देना महादशा समाप्त हो जाएगी। अगर आपको लगे कि नवगृह मेरे अनुकूल नहीं चल रहे हैं तो रोज सुबह उठते माँ के चरणों का वंदन-दर्शन और शाम होते ही माँ के चरणों की सेवा कर लेना, अगर आपके नवगृह अनुकूल न हो जाएं तो कहना। मैं दावे के साथ कहता हूं, माँ-बाप के चरणों का यह जो अनुष्ठान मैंने बताया है यह दुनिया में कभी भी निष्फल नहीं जाएगा। यह तय मान कर चलना जो व्यक्ति अपने माता-पिता को सुख की रोटी नहीं खिलाता, अगर वह कबूतरों को भी दाना डाले तो कबूतर सबके डाले दाने खा लेंगे मगर उस आदमी के डाले दाने कभी नहीं खाएंगे।  मंदिर में जाकर माता की चुनरी बाद में ओढ़ा देना, पहले अपने घर की बूढ़ी माता को चुनरी ओढ़ा देना। एक अंतिम नियम और जरूर ले लेना, जब मैंने पहली सांस ली तो मां मेरे पास थी, जब माँ अंतिम सांस लेवे तो मैं उसके पास रहूं।

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