सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 9 अगस्त। जिले के कोन्टा बाढ़ के दौरान राहत केंद्रों में ठहरे बाढ़ पीडि़त अब धीरे धीरे अपने घरों में लौटने लगे हैं पूरी तरह बर्बाद हो चुके इन बाढ़ पीडि़तों में कुछ अब भी अपनी गृहस्थी लेकर रिश्तेदारों के यहां जाने को मजबूर हैं क्योंकि इस बाढ़ ने उनसे सब कुछ छीन लिया है।
गोदावरी नदी में उफान से आई बाढ़ ने कोन्टा तहसील के कई अन्य गांवों में भी तबाही ला दी है। बाढ़ के कारण मकान खंडहर हो गए हैं। गृहस्थी का सामान मलबे में दब गया है। यहाँ के कई परिवार के लोग मकान ढहने से अब अपना सामान ट्रैक्टरों में लादकर अपने रिश्तेदारों के यहां दूसरे गांवों में शरण लेने को भी मजबूर हुए हैं। बाढ़ के पानी के कारण घरोँ में कीचड़ के हालात निर्मित हो गए थे। लोग न बाहर से आ पा रहे थे और न अंदर जा पा रहे थे। किसी तरह इस कीचड़ को साफ करके लोग अपने घरों में धीरे धीरे जा रहे है और अपनी गृहस्थी पुन: संवारने का प्रयास कर रहे हैं।
बाढ़ की इस भीषण त्रासदी के बाद समाज सेवी संगठनों व राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों ने भी बाढ़ पीडि़तों के मदद हेतु हाथ बढ़ाए हैं। भाजयुमो प्रदेश उपाध्यक्ष अधिवक्ता दीपिका शोरी भी कोन्टा में बाढ़ पीडि़तों की मदद करने पहुंची उन्होंने कोन्टा नगर पंचायत के कई वार्डों में पहुंचकर जरूरत मंदों को राहत सामग्री दी ,उन्होंने जरूरतमन्दो को कम्बल व चटाई भी दी।
उन्होंने बाढ़ पीडि़तों से बात की तो पीडि़तों ने कहा कि नदी किनारे बसे हमारे घरों बाढ़ तबाही लेकर घुसी और अपने साथ सब कुछ बहा ले गई थी। बाढ़ का पानी तो उतरकर तो कम हो गया लेकिन हमें कभी न भुला पाने वाले गहरे जख्म दे गया। दीपिका उनकी बातें सुनकर भावुक हो गई व उन्हें हर सम्भव मदद करने का आश्वासन भी दिया।