राजनांदगांव
राजनांदगांव, 11 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने कहा कि बच्चों को रोका टोका इसलिए जाता है कि उनमें सुधरने की गुंजाइश ज्यादा होती है। उनकी आयु लंबी होती है और उनका पटल खाली होता है। जिसमें आसानी से बातें आ जाती है। उन्होंने कहा कि बिगड़ते तो युवा भी है और बुजुर्ग भी, किंतु बच्चों में सुधरने की संभावना ज्यादा होती है। युवा और बुजुर्ग अपनी आदतों पर टिके होते हैं।
जैन संत श्री हर्षित मुनि ने समता भवन में कहा कि रोका टोका उसे जाता है जिसने अपनी मर्यादा समझी ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मर्यादा की सीमा लांघनी नहीं चाहिए। लक्ष्य पर निगाह रखनी चाहिए। व्यक्ति के जीवन में संयम जरूरी है। हमें अपने व्यवहार में बड़ों के प्रति संयम लाना जरूरी है। उनकी बातों का सम्मान करना चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो प्रकृति भी हमारा साथ देती है। माता-पिता आपका हित चाहते हैं। आपके लिए उनका आशीर्वाद दिल से निकलता है, इसलिए वह फलीभूत भी होता है। आप जो भी बोलें सोच समझ कर बोलें। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।