महासमुन्द
न सडक़, न पानी, न बिजली, सिर्फ पगडंडी का सहारा
ग्रामीणों ने खुद ही मुरूम मिट्टी पाटकर गस्तीडीपा तक पहुंचने का मार्ग बनाया
बरसात के दिनों अब भी गस्तीडीपा तक पहुंच पाना दुष्कर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,12 अगस्त। आगामी 15 अगस्त को देश की आजादी का 75 साल पूरा होगा लेकिन महासमुंद जिले का गस्तीडीपा गांव बारहमासी पहुंच मार्ग से अछूता है। जब यह गांव बसा तब यहां पहुंच मार्ग नहीं था। अत: ग्रामीणों ने आवाजाही के लिए पगडंडी तैयार किया। यही पगडंडी आज भी इनके लिए आवाजाही का साधन बना हुआ है। गाांव कापुडीह से गस्तीडीपा तक जाने के लिए मनरेगा के जरिए पहुंच मार्ग बनाया गया मगर यह भी आधे रास्ते पर जाकर समाप्त हो गया। आगे निजी जमीन पडऩे से पहुंच मार्ग का सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया।
गांव के युवा पंच भगवानो यादव, रामप्रसाद, राजेश, जोहन, भानु, सेतलाल डोलचंद, मोहन आदि युवाओं ने मिलकर गांव में पहुंचमार्ग बनाने की कवायद शुरू की। भू स्वामियों को मार्ग के लिए जमीन देने के लिए तैयार किया और जब सहमत हुए तो गांव तक पहुंच मार्ग बनने की एक नई उमीद जागी है। ग्रामीणों ने मिलकर आपसी सहयोग से मिट्टी पाटकर कच्ची सडक़ मार्ग तैयार कर एक मिशाल कायम की है। लिहाजा अब मुरूम मिट्टी पाटकर गस्तीडीपा तक पहुंचने का मार्ग सुगम हुआ। लेकिन बरसात के दिनों अब भी गस्तीडीपा तक पहुंच पाना दुष्कर है।
(मालूम हो किग्राम गस्तीडीपा के करीब 250 की आबादी है। यह गांव कापुडीह का आश्रित मोहल्ला है। मगर यह मोहल्ला गांव से बहुत दूर खेतों के बीच बसा है कि यहां तक पहुंच पाना मुश्किल है। गस्तीडीपा जाने के लिए फिलहाल पगडंडी का ही एकमात्र सहारा है। ग्रामीणों ने बताया कि आजादी मिलने से लेकर आज तक कोई विधायक या सांसद तक उनके गांव नहीं पहुंचे हैं।)
गस्तीडीपा में बरसात का चौमासा किसी कालापानी की सजा से कम नहीं है। यहां तक पहुंचने के लिए ग्राम रोहिना से करीब 1 किलोमीटर तक कीचड़ युक्त पगडंडी से होकर जाना होता है। बरसात के दिन छात्रों को स्कूल जाने एवं मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बरसात के दिनों ग्रामीण मोटर साइकल, साइकल को या तो घरों में ताला लगा कर रख देते हैं या फिर रोहिना में किसी के घर में रख देते हैं।
गस्तीडीपा के बच्चों को शिक्षा-दीक्षा के लिए अलग-अलग दिशाओं में दूसरे गांव की ओर रुख करना पड़ता हैं। गांव के 15 बच्चे प्राइमरी और मिडिल स्कूल रोहिना, 5 बच्चे हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए दुर्गापाली आना जाना करते हैं। दोनों ही गांव की दूरी गस्तीडीपा से 2 किलोमीटर दूर है। जबकि राशन के लिए भी इस अभिशप्त मोहल्ला गस्तीडीपा के ग्रामीणों को कापूडीह या दुर्गापाली तक का सफर करना होता हैं। आसपास के सभी गांव, जिनके बगैर गस्तीडीपा के लोगों का कोई काम पूरा नहीं होता, उन सभी गांवों की दूरी 2 किलोमीटर से अधिक ही है। जिसमें राशन लेने की मजबूरी भी शामिल है।