बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 13 अगस्त। भाई बहन का सनातनी पवित्र तथा अटूट प्रेम का पर्व बेमेतरा जिले के कंतेली ग्राम स्थित वृद्धाश्रम में महात्मा हुमनिटी क्लब द्वारा रक्षा बंधन का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बुजुर्ग माता - पिता के चेहरे पर खुशी लाने के लिए आज एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा की छात्र-छात्राओं ने वृद्धजनों की कलाई पर राखी बांधकर मिष्ठान तथा फल वितरित किए। यह दृष्य देखकर बुजुर्ग महिला और पुरुषों के चेहरे पर जो खुशी थी वह देखते ही बन गयी।
बच्चों से मिलते ही उनके मुख मण्डल पर खुशी की लहर छा गयी। उन्होंने सभी नवनिहालों को आशीर्वाद दिया। समृद्ध परिवार से दूर रहते हुए जिनके अपनों ने स्वार्थ के चलते वृद्धाश्रम छोडकर चले गए है। उन बुजुर्गां ने आश्रम में रहने की अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि आज हमें इन बच्चों के कोमल हाथों से रक्षासुत्र बांधते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा मानो हम अपनों से मिल रहे है। परिजनों की याद में बुजुर्गो की आंखे भर आई। उन्होंने अपने अनुभव बच्चों से साजा किया। वृद्धजनों ने कहा हम चाहते है कि ऐसे ही त्यौहार मनाते रहे जिससे हमारा मनोबल बढ़ता रहे।एम.एफ. हुसैन क्लब आर्ट क्लब द्वारा विद्यालय परिसर में तीन समूह में राखी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने उमंग पूर्वक भाग लिया। छोटे-छोटे बच्चों ने राखी बनाकर अपने अंदर छिपी प्रतिभा को निखारा बच्चों का उत्साह देखकर प्राचार्य तथा शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बच्चों की हुनर की सराहना की।
रक्षा बंधन के सुअवसर पर पर्यावरण को भविष्य में सुरक्षित रखने के लिए, जीव जंतुओं के रक्षक वृक्षों को रक्षा सूत्र बांध कर वनों की रक्षा के लिए गो ग्रीन क्लब द्वारा एलॅन्स के विद्यार्थियों ने ‘हम वृक्षों की रक्षा करेंगे, तो वृक्ष हमारी रक्षा करेंगे’ कहकर शपथ ग्रहण किया। वृक्षों को रक्षाबंधन बांध कर बच्चों ने अपने भविष्य को सुरक्षित करने का उद्देश्य पूर्ण करते हुए जनमानस को शुभ संदेश दिया है जो कि समाज के लिए प्रेरणाप्रद है।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता ने कहा कि रक्षा बंधन बहन - भाईयों की आपसी प्रेम और सम्मान का प्रतीक है जो रिश्तों को मजबूत बनाता है। वृद्धाश्रम के वृद्धजनों के चेहरे पर मुस्कान देखते हुए कहा कि यहाँ आकर मैनें भावनात्मक महौल पाया है। वृद्धजनों से वार्तालाप कर उनके परिजनों के बारे में जाना। वृक्ष हमारे लिए जीवन दायिनी है वृक्षो से ही हमारा भविष्य सुरक्षित है। वृक्ष और वृद्धों की सेवा करना हमारी सनातनी वैदिक परंपरा हैं इसका हमे पूर्णत: निर्वहन करना चाहिए।