कोण्डागांव
भंगाराम माई के दरबार में देवी-देवताओं के कार्यों का होगा लेखा-जोखा
नौ परगना के देवी-देवता देंगे भंगाराम में उपस्थिति
प्रकाश नाग
केशकाल, 19 अगस्त (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। केशकाल तेलीन सती माई मंदिर के समीप व टाटामारी पर्यटन मार्ग में स्थित भंगाराम देवी दरबार पर क्षेत्र के देवी देवता का शनिवार को मेला लगेगा।
आदिम संस्कृति में कई व्यवस्थायें ऐसी हैं, जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। जिन देवी-देवताओं की पूरी आस्था के साथ पूजा-अर्चना की जाती है, उन्हीं देवी देवताओं को भक्तों की शिकायत के आधार पर सजा भी मिलती है। यहां पर देवी-देवताओं से वर्ष भर में किये गये कार्यों का हिसाब किताब लेखा-जोखा होता है, वहां पर देवी देवताओं को उनके ठीक कार्य नहीं करने पर उसे सजा सुनाई जाती है।
जिस तरह से आमतौर पर शासकीय सेवक को निलंबन-बर्खास्तगी की सजा सुनाई जाती है, उसी तरह यहां देवी देवताओं को भी दोष सिद्ध होने पर अपराध अनुकूल सजा का सामना करना पड़ता है। देवताओं के कार्य ठीक रहने पर उसे उच्च कोटी का दर्जा दिया जाता है।
यहां प्रतिवर्ष भादो माह के कृष्णपक्ष के शनिवार के दिन भादो जातरा का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी 20 अगस्त को यह जात्रा लगेगा। दस मोड़ों के सर्पीलाकार कहे जाने वाली घाटी के ऊपर देवी-देवताओं का मेला लगेगा। जातरा के पहले छ: शनिवार को सेवा (विशेष पूजा) की जाती है और सातवें अंतिम शनिवार को जातरा का आयोजन होता है।
इस अंतिम शनिवार को जातरा के दिवस क्षेत्र के नौ परगना के देवी देवता के अलावा पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता मुख्या भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। यह मेला शनिवार के दिन ही लगता है।
क्षेत्र के विभिन्न देवी देवताओं का भंगाराम माई के दरबार में अपनी हाजरी देना अनिवार्य होता है। जात्रा के दिन भंगाराम माई के दरबार पर महिलाओं का आना प्रतिबंधित होता है। सभी देवी-देवताओं को फुल पान सुपारी मुर्गा बकरा बकरी देकर प्रसन्न किया जाता है, वहीं भंगाराम मांई के मान्यता मिले बिना किसी भी नये देव की पूजा का प्रावधान नहीं है । वहीं पर महाराष्ट्र के डॉक्टर पठान देवता भी है, जिन्हें डॉक्टर खान देवता कहा जाता है, उन्हें भी प्रसन्न करने के लिए अण्डे दिये जाते हैं। देवी देवताओं के मेला में क्षेत्र व दूरदराज के लोग भी काफी संख्या में उपस्थित होते हैं।