राजनांदगांव

लगातार छठवें दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल में डटे सरकारी कर्मी
27-Aug-2022 1:14 PM
 लगातार छठवें दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल में डटे सरकारी कर्मी

अलग-अलग संघ भी समर्थन में उतरे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 27 अगस्त।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के बैनर तले सरकारी कर्मचारी आज छठवें दिन भी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल में डटे रहे। उक्त हड़ताल  को समर्थन देने अलग-अलग संघ भी सामने आ रहे हैं। प्रांतीय आह्वान पर जिला महासचिव सतीश ब्यौहरे के नेतृत्व में राजनांदगांव जिले में शासकीय सेवकगण अपनी डीए और गृहभाड़ा भत्ते की लंबित मांगों के समर्थन में प्रांतव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल एवं धरना प्रदर्शन के माध्यम से आंदोलनरत हुए।

कलम बंद-काम बंद के नारों के साथ अपनी मांगों को लेकर  स्थानीय जिला कार्यालय के सामने फ्लाई ओवर के नीचे विभिन्न विभागों के शासकीय सेवकगण अपनी लंबित मांगों के लिए नारेबाजी करते राज्य शासन के कर्मचारियों को केंद्र शासन के समान देयतिथि अनुसार 34 प्रतिशत डीए एवं बकाया एरियर्स राशि सहित सातवें वेतनमान के अनुरूप गृृहभाड़ा भत्ता की मांग करते वृहद स्तर पर हड़ताल एवं धरना प्रदर्शन करते दिखाई दिए।

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष एवं फेडरेशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष मनीष मिश्रा ने कहा कि सरकार अपनी हठधर्मिता को छोड़ कर्मचारियों की जायज मांगों को पूरा करें। छत्तीसगढ़ लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष एवं फेडरेशन केे संगठन सचिव संजय सिंह ने कहा कि कर्मचारियों के 2 सूत्रीय मांगों को पूरा नहीं करने से पूरे छत्तीसगढ राज्य में सरकार के खिलाफ  जन आक्रोश फैला हुआ है। छत्तीसगढ़ सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष डीएस भारद्वाज, मनीष साहू जिला अध्यक्ष छत्तीसगढ़ सहायक विकास विस्तार अधिकारी संघ, शैलेंद्र तिवारी पीटीआई, छत्तीसगढ़ न्यायालयीन कर्मचारी संघ के डीडी साहू ने अपने-अपने विचार रखे। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के लंबित मांगों को लेकर महापौर को ज्ञापन सौंपा गया।

आंदोलन के विषय में फेडरेशन के जिला  महासचिव सतीश ब्यौहरे ने बताया कि पूर्व में फेडरेशन द्वारा शांतिपूर्ण चरणबद्ध आंदोलन के माध्यम से राज्य शासन को समय-समय पर अपनी जायज मांगों के निराकरण हेतु अनुरोध किया जाता रहा है, किन्तु राज्य शासन द्वारा शासकीय सेवकों के हित में समाधान कारक निर्णय नहीं लेने के कारण प्रदेश के कर्मचारीगण, अधिकारीगण, पेंशनर्स प्रताडि़त हो रहे है। शासन द्वारा राज्य सेवा केकर्मचारियों के वेतन में लगातार कटौती की जा रही है और उनके मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। जिसके कारण शासकीय सेवको में निराशा और आक्रोश व्याप्त है और वो अपने हक की लड़ाई के लिए लामबद्ध हो रहे हैं।
 

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