कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया) 12 सितंबर। मानसून विदाई के करीब है और अब तक जिले में बारिश का क्रम चल रहा है। कुछ दिनों के बाद दो तीन दिनों से प्रतिदिन जिले के किसी न किसी क्षेत्र में बारिश हो रही जिससे अधिकतम तापमान में गिरावट होने से उमस भरी गर्मी से लोगों को राहत मिल गयी है। भादों माह के बीत जाने के बाद रविवार से आश्विन माह की शुरूआत हो गयी और इस दिन भी जिले के कई क्षेत्रों में बारिश हुई। इस दिन जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में रात्रि के समय अचानक थोडी देर की बारिश हुई जिससे कि शहर की सडकें भींग गयी।
अचानक हुई बारिश से हवाओं में नमी आ गयी और बाद में ठण्डी हवाएं चलनी शुरू हा गयी। इसके बाद रात में आसमान में बादल छाये रहे और दूसरे दिन 12 सितंबर को सुबह होने के साथ ही आसमान में बादल छाये रहे और सुबह के समय करीब 7 बजे हल्की बारिश कुछ देर की हुई। जिले में विगत तीन चार दिनों से थम थम कर प्रतिदिन बारिश होती रही है। जबकि इसके कुछ दिनों पूर्व बारिश लगभग थम गयी थी और लगातार धूप निकल रही थी जिससे कि तापमान में बढोतरी हेा रही थी और उमस भरी गर्मी का सामना लोगों को करना पड रहा था लेकिन बीच में अचानक मौसम में बदलाव होने लगा और जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रूक रूक कर तीन चार दिनों से बारिश हो रही है। हालांकि खेतों में पर्याप्त पानी जमा है इसके बावजूद अभी बारिश की बौछार धान फसलों के लिए तो लाभदायक साबित होगी लेकिन इसके अलावा उडद की फसलों के लिए वर्तमान की बारिश नुकसान दायक हो सकता है क्योकि उडद की फसल पक गयी है ऐसे समय में इसे पानी की जरूरत नही है और हो रही बारिश उडद को नुकसान पहुॅचा सकता है।
सावन से कुछ ज्यादा भादों में वर्षा
इस वर्ष समय पर मानसून आने के बाद समय पर अच्छी बारिश नही हुई जिससे कि खेती कार्य पिछड गया खासकर धान के पौधे की रोपाई समय पर अच्छी बारिश नही होने के कारण पिछड गयी है। इस वर्ष मानसून की शुरूआत में कुछ दिन अच्छी बारिश हुई इसके बाद आषाढ एवं सावन माह में उतनी बारिश नही हुई जितनी बारिश होनी चाहिए लेकिन सावन के आखिरी रक्षाबंधन के दिन से जिले में जमकर बारिश हुई इसके बाद भादों माह में कई दिनों की बारिश की झडी लग गयी और आषाढ सावन में कम बारिश की पूर्ति कर दी। इस साल भादों के महीने में सबसे अधिक बारिश हुई और आश्विन माह में भी रूक रूक कर बारिश प्रतिदिन हो रही है।
जबकि खेतों में एक पखवाडे पहले से कांस के फूल खिल गये है। पुराने लोगों की मान्यता है कि जब खेतों में कांस के फूल खिल जाते है तब बारिश कमजोर हो जाती है लेकिन इस बार इसके उलट देखने को मिल रहा है।