राजनांदगांव

आराधना करना सरल है, आलोचना करना कठिन है- हर्षित मुनि
13-Sep-2022 2:54 PM
आराधना करना सरल है, आलोचना करना कठिन है- हर्षित मुनि

राजनांदगांव, 13 सितंबर। जैन संतश्री हर्षित मुनि ने कहा कि एकांत मन को कमजोर बनाता है। एकांत में मन में पाप आता है। पाप को छुपाए नहीं, बल्कि उसकी आलोचना करें। आलोचना से पाप साफ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आराधना करना सरल है, किंतु आलोचना करना काफी कठिन है।

जैन संतश्री हर्षित मुनि ने समता भवन में अपने नियमित प्रवचन में कहा कि आराधना कम या ज्यादा हो सकती है, किन्तु विराधना नहीं होनी चाहिए। हमने यदि पाप किए हैं तो उसकी आलोचना करें। इसी तरह मन में पाप आने से पहले उसकी आलोचना करें और उसे आने से पहले ही साफ कर दें। मोह ने किसी को भी नहीं बख्शा है। एकांत में कमजोर दिल की साधना को यह कम कर देता है। पाप करने के बाद पाप को छुपाना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि पाप को छुपाए तो यह बीमारी की तरह बढ़ती ही जाएगी। पाप को आलोचना कर बाहर निकाल दें। आलोचना करना बड़ा कठिन है, क्योंकि आलोचना करते समय व्यक्ति को अपने स्टेटस को गिराना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिस पाप को हमने प्रकट नहीं किया तो वह हमको बेताल की तरह सताता रहेगा। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसका मन पाप करने से मानता नहीं है। वह पाप की आलोचना भी नहीं करना चाहता। ऐसी परिस्थिति से बचने वह एकांत खोजता है। छोटे-छोटे पापों को छुपाना कितना भयंकर हो सकता है यह आप सोच भी नहीं सकते।

उन्होंने कहा कि बड़े से बड़े दुखों को भी काल भर देता है। काल अर्थात समय को थोड़ा सा समय दें। व्यक्ति को सदकार्य में अपने मन को लगाना चाहिए। इससे मन नहीं भटकता है और वह आराधना में समय बिताता है। यह जानकारी विमल हाजरा ने दी।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news