राजनांदगांव
खैरागढ़, 15 सितंबर। पुलिस ने असहाय और गंभीर रूप से बीमार बालिका का इलाज कराया है। संरक्षण को लेकर परिजन और अन्य सामने नहीं आए, तो राजधानी में खुले बालिका आश्रम तक पुलिस छोडक़र आई । लगभग 10 दिनों का इलाज के बाद अब बालिका बेहतर स्थिति में है।
पुलिस को सूचना मिली कि नगर की एक 17 साल की बालिका बीमार है। शराबी पिता इलाज कराने में लापरवाही बरत रहा है। पुलिस ने एसपी अंकिता शर्मा को दी और मौके पर जाकर देखा तो पाया कि टूटी-फूटी झोपड़ी में बालिका कराहती निढाल पड़ी है। वह लगभग अचेत अवस्था में थी। महिला स्टाफ ने बालिका का बिस्तर साफ किया और अचेत अवस्था में लडक़ी को लेकर सिविल अस्पताल गए जहां बीएमओ डॉक्टर बिसेन ने 2 दिन तक इलाज किया । जिसके बाद पुलिस उसे मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव ले गई।5 दिन तक इलाज करने के बाद मेकाहारा रायपुर में ईएनटी और न्यूरो सर्जन के पास ट्रीटमेंट कराया और जब वह बेहतर महसूस करने लगी थी तो पुलिस ने पालक को तलाशा, घर तक गए ,लेकिन किसी संरक्षक के सामने नहीं आने पर पुलिस ने बाल कल्याण समिति अध्यक्ष को समुचित देखरेख और इलाज के लिए आवेदन दिया ।
जिस पर पहल करते हुए समिति के निर्देश पर बालिका को राजधानी के तेलीबांधा स्थित प्रतिज्ञा विकास संस्थान तक छोड़ कर आई। यहां उनका समुचित इलाज होगा ।उसे खुला आश्रम स्थल होने के कारण बेहतर वातावरण मिलेगा और उम्मीद की जा रही है कि वह जल्द वापस लौट आएगी।
मोहल्लेवासियों ने पुलिस को बताया कि यह बालिका माता-पिता की इकलौती संतान है। मां की मौत 2005 में हो गई थी। पिता आदतन शराबी है। कामकाज करने की जगह छोटी मोटी चोरी कर जीवन यापन करता है ।उनकी तबीयत खराब होने के बाद इलाज के नाम पर आसपास के लोगों से पैसे मांग कर नशे का शौक पूरा किया। बिस्तर में ही नित्य कर्म करने से उठने वाली बदबू से परेशान होकर मोहल्ले वासियों ने पुलिस को फोन किया था।
टीआई निलेश पांडे ने कहां कि आम जनता की सुरक्षा के साथ उनके सुख-दुख और सामाजिक सरोकारों के निर्वहन को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में सामुदायिक सहभागिता की दिशा में पुलिस अग्रसर है। इस नेक काम के लिए नागौर वासियों ने पुलिस डिपार्टमेंट को जमकर सराहना कर रही है।