धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 19 सितंबर। छत्तीसगढ़ राज्य वक़्फ़ बोर्ड प्रदेश भर में वक्फ संपत्तियों को सहेजने के काम में लगी है। अलग-अलग शहरों में स्थित प्रापर्टी को बेजा कब्जा से मुक्त कराने आपसी बातचीत से लेकर कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है। जिससे कई शहरों में वक्फ संपत्तियों को मुक्त कराया गया है।
छत्तीसगढ राज्य वक्फ बोर्ड कार्यालय रायपुर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि, वक्फ संस्था जामा मस्जिद कमेटी डोंगरगढ़ की वक्फ सम्पति की 4 दुकानों पर जनरैल सिंह कक्कड़ विगत 28 वर्षों से काबिज थे। वक्फ सम्पत्ति पर से अवैध कब्जा खाली करने का प्रकरण वक्फ बोर्ड में पंजीबद्ध हुआ। तो बोर्ड द्वारा वक्फ सम्पत्ति से कब्जा खाली कर वक्फ संस्था को सौंपने के आदेश दिया था, तदसम्बंध में वक्फ अधिकरण ने भी इस आदेश की वैधानिकता की पुष्टि कर समकक्ष आदेश पारित किया। तत्पश्चात उक्त प्रकरण उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन रहा।
न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी ने इस प्रकरण में बोर्ड व अधिकरण के आदेश को सही माना तथा कब्जाधारी को 45 दिवस के भीतर दुकान खाली कर जामा मस्जिद कमेटी डोंगरगढ़ को सौंपे जाने के आदेश दिया था। लेकिन जनरैल सिंह कक्कड़ द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। जिस पर विचार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की डबल बैंच में जस्टिस डी.वाय.चन्द्रचूड व हीमा कोहली द्वारा एसएलपी (सी) 15683/2022 में याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए वक्फ सम्पति पर से अवैध कब्जा समय-सीमा के भीतर खाली कर वक्फ संस्था को सौंपने एवं विगत अवधि के किराये की लम्बित राशि भुगतान करने का आदेश दिया हैं। इस प्रकार वक्फ सम्पत्ति को अतिक्रमण मुक्त कराने की दिशा में यह महत्वपूर्ण निर्णय है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ के कई शहरों में वक्फ सम्पति को अतिक्रमण मुक्त कराने स्थानीय कमेटी के साथ मिलकर बोर्ड हर संभव प्रयास कर रहा है। जिसका अब तक सकारात्मक परिणाम भी मिल रहा है।