राजनांदगांव
राजनांदगांव, 19 सितंबर। जैन संतश्री हर्षित मुनि ने कहा कि अगर हमें कोई अच्छा कार्य करने से रोकता है तो वह है हमारा मन। हमें इस मन को मारकर आगे बढऩा है, तभी हम लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे। उन्होंने कहा कि मन में यह ठान लें कि हमें समाधि चाहिए तो चाहिए ही। अगर हमने यह ठान लिया तो हमें लक्ष्य की ओर बढऩे से कोई नहीं रोक सकता।
समता भवन में अपने नियमित प्रवचन में जैन संतश्री हर्षित मुनि ने कहा कि मन की इच्छा को मारने के लिए देर न करें। व्यक्ति के सामने यदि लक्ष्य होता है तो वह उसे प्राप्त करने के लिए मन की इच्छाओं को मार देता है और आगे बढ़ता जाता है। उन्होंने कहा कि जिसे लक्ष्य तक पहुंचने की जल्दी होती है तो वह कहीं भटकता नहीं है। वह मन के बंधन में बंधता नहीं है। जब तक लक्ष्य तक पहुंचने की ठान कर आगे बढऩे के लिए मन को मजबूत नहीं करेंगे, तब तक हम लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। हमसे पाप होता ही रहेगा। मन को मजबूत कर यदि ठान लिया कि पाप नहीं करेंगे तो पाप के समय मन चेतावनी देते रहेगा। यह जानकारी विमल हाजरा ने दी।