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बीजापुर की 12 साल की ‘जीता’ ने लॉकडाउन में पैदल घर वापसी पर हारी थी जिंदगी की जंग
19-Sep-2022 4:52 PM
बीजापुर की 12 साल की  ‘जीता’ ने लॉकडाउन में पैदल घर वापसी पर हारी थी जिंदगी की जंग

फेमस रैपर रफ़्तार, कर्मा और गायक सलीम मर्चेंट के ट्रिब्यूट सॉन्ग ने ‘जमलो’ को किया अमर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
 जगदलपुर, 19 सितंबर।
लॉकडाउन के दौरान हजारों प्रवासी कामगार अपने घरों के लिए पलायन करने और सैकड़ों मील की पैदल यात्रा शुरू करने को मजबूर हो गये थे। अगर संवेदनशील खबरों पर आपकी नजऱ हो, तो आपको याद होगा कि 18 अप्रैल 2020 को तेलंगाना से पैदल घर वापसी के वक्त लगभग 150 कि.मी. चलने के बाद घर पहुंचने से पहले करीब 55-60 कि.मी. पहले बीजापुर जिले की ‘जमलो (जीता) मडक़ामी’ की भूख-प्यास और स्वास्थ्य खराब होने से जान चली गई थी। बीजापुर जिले के ग्राम आदेड़ की 12 वर्षीय ‘जमलो मडक़ामी’ की असामयिक मृत्यु हो जाना एक बेहद ही दुखद घटना थी, जो कुछ दिनों तक राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खय़िों में रही। जिस पर सरकार ने मुआवजे का लेप लगा कर किनारा कर लिया था।

इस मुद्दे ने धीरे-धीरे अपनी चमक खो दी थी और कहीं भी ज्यादा प्रसारित नहीं किया गया था, लेकिन हिप-हॉप व संगीत की दुनिया के कुछ संवेदनशील कलाकारों के इस गीत ने ‘जमलो’ की यादों को एक सौम्य अनुस्मारक के रूप में अमर कर दिया। इस तरह की दिल दहला देने वाली कहानियों को बार-बार बताने की जरूरत है, चूंकि टीआरपी में वृद्धि करने के लिए क्षणिक रूप से प्रचारित करने वालों की आवश्यकता आज नहीं है, मानवता और करुणा के इस अत्यंत मार्मिक अध्याय को याद कर आज भी सिहरन होने लगती है। जब मात्र सरकारी अनदेखी और साधनों के अभाव में एक मासूम ने दम तोड़ दिया था।

कुछ कलाकारों की श्रद्धांजलि में ‘जमलो मडक़ामी’ की स्मृति आज भी शेष है। जी हां प्रसिद्ध रैप स्टार ‘रफ़्तार’ ( दिलिन नायर ) और कर्मा सहित गायक सलीम मर्चेंट ने एक मार्मिक गाने के माध्यम से जमलो जैसे हालात से हारकर इस दुनिया को छोडऩे वाले मासूमों को ट्रिब्यूट दिया है। इस गाने के शुरूआत में जमलो की मृत्यु से संबंधित कुछ खबरों के कतरन और गाने के बीच में ‘जमलो मडक़ामी’ की एक तस्वीर भी दिखाई गयी है। साथ ही रैप स्टार रफ़्तार ने इस पर अपने रैप लिरिक्स को गाकर जमलो का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा कि ‘इक दफ़ा, सोचो देश बंद था वो चल पड़ी। आठ मील पहले घर से गिर के धर पे मर पड़ी। जीता नाम बालिका का जीती ना जो इक कड़ी। वो दफ्न है या जल चुकी, ये सोचता मैं हर घड़ी। ’

जिसके बाद फेमस सिंगर सलीम मर्चेंट ने अपने मार्मिक लिरिक्स और खूबसूरत आवाज से गाने को और भी दिल छूने वाला बना दिया है, जिसमें वो कहते नजऱ आ रहे हैं कि ‘तू फिर से आना मुस्कान बनके, मेरे घर में छोटा मेहमान बनके। तू फिर से आना मुस्कान बनके और हंस के जीना मेरी जान बनके।’

वहीं रैप स्टार कर्मा भी लॉकडाउन के दौरान पीडित मासूमों के दर्द को अपने लिरिक्स से बयान करते नजऱ आ रहे हैं। जहां जमलो जैसी पीडित मासूम की विडम्बनाओं को रैप सॉन्ग के माध्यम से गाते हुए बतलाते हैं कि ‘पेट में आग लगी है पर पानी भी तो पास नहीं। छोटे हैं कदम काफी, जवानी भी तो पास नहीं। वो थक चुके इतना के पटरी पे ही सो जाएं, पर सुलाने वाली मां की कहानी भी तो पास नहीं। जो घर पर हैं वो खुश हैं, जो रोड पे वो पूछें, के घर की छत मिलेगी कब? कहां पे जाके लूं चैन? जब मां छोडऩे आई थी, तो एक दिन में पहुँचे थे। अब वापस जाने में, मुझको लगरे हैं दिन क्यूं 6? अब सब धुंधला लगरा, नहीं बची है ताकत। अब सो ही जाता हूं, अगले जनम में लूंगा दावत। बस मां को बतला देना के थोड़ा दूर ही था मैं। हवा में खूशबू ले ले, मिलने तक ले लें राहत।

साथ ही रैपर कर्मा ने अपने शानदार लिरिक्स से गाने की मार्मिकता बढ़ाते हुए सरकारी तंत्र पर तंज कसा है। जिसमें वो 1 लाख मुआवजा देने को दिखावा बताते हुए गाने के माध्यम से कहते हैं कि ‘और जो कहते हैं के मरने पर हम, एक लाख देंगे। मानो 16 मौत आई, और हो गए 16 लाख। ऊपर शिकायत करुंगा अब वो हिसाब लेंगे, जो घर तक छोड़ देते तो बच जाती 16 लाश।’

गाने के अंत को भी बड़ी मार्मिकता से फिल्माया गया है, जिसमें चलती हुई बच्ची के गायब होने के साथ ही उसके खून से सने पैरों के बढ़ते निशानों को दिखाया गया है। यह गाना 8 दिसंबर 2020 को जारी किया गया था। जिसे फेमस रैपर रफ़्तार, गायक सलीम मर्चेंट और रैपर कर्मा द्वारा लिखा गया है। साथ ही इन्होंने अपनी-अपनी लिरिक्स को खुद ही गाया है। जिसमें बुडापेस्ट आर्ट ऑर्केस्ट्रा का विशेष योगदान है।
 

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