बीजापुर

न्याय को लेकर सीपीआई की पदयात्रा शुरू, नक्सलगढ़ में गूंजा मावा नाटे मावा राज
20-Sep-2022 9:33 PM
न्याय को लेकर सीपीआई की पदयात्रा शुरू, नक्सलगढ़ में गूंजा मावा नाटे मावा राज

सिलगेर से सुकमा तक 100 किमी की यात्रा होगी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बीजापुर, 20 सितंबर। राज्य सरकार की वादा खिलाफी, आदिवासियों को न्याय दिलाने व पेशा कानून लागू किये जाने की मांग को लेकर सीपीआई की सिलगेर से सुकमा तक की प्रस्तावित पदयात्रा का शंखनाद हो गया हैं। पदयात्रा में मावा नाटे मावा राज के नारे गूंजते रहे।

मंगलवार को सिलगेर से सुकमा तक 100 किमी की पदयात्रा आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम की अगुवाई में शुरू हो गया है। पदयात्रा में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी शामिल हुए। पदयात्रा में सीपीआई की राष्ट्रीय सचिव एनी राजा भी शामिल हुईं।

सिलगेर से निकले पदयात्रियों के मावा नाटे मावा राज के नारों की गूंज दूर तक सुनाई दे रही थी। पदयात्रा का पहला पड़ाव चिंतागुफा होगा। यहां रात रुकने के बाद पदयात्रा बुधवार की सुबह आगे बढ़ेगी। 100 किलोमीटर से ज्यादा यह पदयात्रा दर्जनभर गांवों से होकर गुजरेगी और छठवें दिन सुकमा पहुंचेगी। पदयात्री अपने साथ राशन बर्तन लेकर निकले हैं। 

अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सीपीआई ने मंगलवार से सिलगेर से पदयात्रा शुरू कर दिया है।  सीपीआई नेता मनीष कुंजाम के साथ राष्ट्रीय सचिव एनी राजा, बीजापुर के जिला सचिव कमलेश झाड़ी, आराधना मरकाम, मंजू कवासी, रामा सोढ़ी, कोवाराम, जेम्स कुडियम, राजू तेलम, रिंकू सहित सैकड़ों सीपीआई समर्थक इस पदयात्रा में शामिल हंै।

सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम का कहना है कि सरकार की वादा खिलाफी, आदिवासियों को न्याय व पेशा कानून को लागू किये जाने को लेकर यह पदयात्रा निकाली जा रही है। उनका कहना है कि आदिवासियों को न्याय नहीं मिल रहा है। क्षेत्र के बेरोजगारों को नौकरी नही मिल रही है। स्थानीय युवकों प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। उसी तरह अन्य विभागों तथा शिक्षकों की भर्ती में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

 सीपीआई नेता का कहना है कि जल जंगल जमीन आदिवासियों का है। क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य हो तो ग्रामीणों से सहमति लिया जाना चाहिए। कांग्रेस की सरकार ने अपने वादे अब तक पूरे नहीं किए है। जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों को लेकर शासन गंभीर नहीं है। जेल से रिहाई के वादे भी अधूरे है। आदिवासी क्षेत्रों के लिए बनाये गये पेशा कानून भी लागू नहीं हो पाया है। इन्हीं मुद्दों को लेकर हमारी पदयात्रा शुरू हुई है।

मनीष कुंजाम ने बताया कि पदयात्रा की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी है। बावजूद पदयात्रा की जा रही है। सीपीआई नेता कुंजाम का कहना है कि आदिवासियों के साथ क़़ई घटनाएं हुई, पर सरकार मौन है। यह मानवाधिकार का उलंघन है।

सीपीआई नेता मनीष कुंजाम व साथी बिना सुरक्षा के अपनी पदयात्रा पर निकल पड़े हंै। विदित हो कि म़़ई माह में सीपीआई नेता मनीष कुंजाम ने सुकमा प्रशासन से पदयात्रा को लेकर अनुमति मांगी थी, लेकिन नही मिली।

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