सरगुजा

आदिवासियों के हित के लिए सीएम को सुप्रीम कोर्ट में करनी चाहिए अपील-रामसेवक
22-Sep-2022 9:40 PM
आदिवासियों के हित के लिए सीएम को सुप्रीम कोर्ट में करनी चाहिए अपील-रामसेवक

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 22 सितंबर। अंबिकापुर नगर के भाजपा कार्यालय शंकर भवन में पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा, सरगुजा के पूर्व सांसद कमलभान सिंह, पूर्व संसदीय सचिव सिद्धनाथ पैकरा व आदिवासी नेता राम लखन पैकरा ने प्रेस वार्ता कर बताया कि कांग्रेस सरकार की लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ राज्य में आदिवासियों को जो 32 प्रतिशत आरक्षण था, उसे हाईकोर्ट ने अपास्त घोषित कर दिया। सरकार आदिवासियों की ओर से उनका पक्ष अच्छे से नहीं रख पाए, जिसके कारण उच्च न्यायालय ने आदिवासियों के हित में निर्णय नहीं दिया, इस निर्णय से आदिवासी वर्ग के लोग काफी दुखी हैं।

पूर्व गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आदिवासियों के हित के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए एवं ठीक से आदिवासियों की ओर से अपना पक्ष रखना चाहिए।

श्री पैकरा एवं कमलभान सिंह ने आगे कहा कि विगत 18 सितंबर 2022 को उच्च न्यायालय बिलासपुर ने छ ग लोकसेवा आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 को कांग्रेस की इस प्रदेश सरकार की लापरवाही के कारण अपास्त घोषित कर दिया है। उच्च न्यायालय के इस निर्णय से प्रदेश के जनजाति वर्ग में इस सरकार के प्रति भारी आक्रोश है।

रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने दिसंबर 2011 में जनजाति समाज को प्रदेश में उनकी जनसंख्या के अनुपात में 32 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था और 2018 सरकार रहते तक उक्त आरक्षण प्रदान किया। उच्च न्यायालय में याचिका दायर होने के बाद भाजपा सरकार द्वारा 2018 तक जनजाति समाज के हित में मजबूती के साथ खड़ा होकर उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते रहे हैं, जिसके कारण आरक्षण यथावत रहा, परंतु कांग्रेस की सरकार आने के बाद से जनजाति समाज के साथ षड्यंत्र होना प्रारंभ हुआ। उच्च न्यायालय में जनजाति वर्ग का पक्ष ठीक से रखा नहीं गया। भूपेश सरकार की विफलता के परिणाम स्वरूप माननीय उच्च न्यायालय में जनजाति समाज के खिलाफ ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय सामने आया है।

इसके पूर्व भी कांग्रेस की सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग को छलने का काम किया है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पदोन्नति में आरक्षण का नया नियम बनाने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 3 साल लगाए। माननीय उच्च न्यायालय में इस पदोन्नति नियम 2003 को भाजपा सरकार ने अपने पूरे 15 साल के कार्यकाल तक कानूनी चुनौती से बचा कर रखा परंतु कांग्रेस की सरकार आते ही मूल कंडिका 5 फरवरी 2018 को पास हो गई तब से लेकर अब तक पदोन्नति में आरक्षण का कोई रास्ता भूपेश बघेल की सरकार ने नहीं निकाला है। भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद से पदोन्नति में आरक्षण का लाभ भी अनुसूचित जनजाति वर्ग को नहीं मिल पा रहा है।

कांग्रेस की सरकार अनुसूचित जनजाति वर्ग के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने में हर जगह नाकाम रही है। संवैधानिक अधिकारों के परिपालन में जब जब मामला कानूनी हुआ है तब तब भूपेश बघेल की है सरकार जनजाति वर्ग की उपेक्षा करते हुए माननीय उच्च न्यायालय में फिसड्डी साबित हुई है।

 श्री पैकरा ने कहा कि सरकार आदिवासियों के हित में शीघ्र उचित निर्णय नहीं लेगी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

प्रेस वार्ता में भाजपा जिला अध्यक्ष ललन प्रताप सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता त्रिलोकपुर कुशवाहा, संतोष दास सहित अन्य उपस्थित थे।

 

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