रायपुर

36 देवियां करती हैं छत्तीसगढ़ की रक्षा
23-Sep-2022 2:32 PM
36 देवियां करती हैं छत्तीसगढ़ की रक्षा

मां महामाया की स्थापना राजा मोरध्वज ने की थी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 सितंबर। 
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शहर के बीचों बीच पुरानी बस्ती में बना मां महामाया देवी मंदिर अपने पौराणिक इतिहास, दैवीय शक्तियों, अनोखी बनावट और प्राचीन मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का लगभग 5 हजार साल पुराना इतिहास बताया जाता है। वहीं मंदिर प्रांगण में विराजी माता सम्लेश्वरी 13सौ साल पुराना है। इस मंदिर से जुड़ी दंत कथाओं के अनुसार मंदिर का निर्माण छत्तीसगढ़ के हैहयवंशी राजाओं के शासन काल का बताया जाता है। मां महामाया देवी हैहैयवंशी राजवंश की कुल देवी हैं। हैहयवंशी राजाओं ने छत्तीसगढ़ में 36 किले का निर्माण कराया था। वहीं पर 36 शक्तिपीठ मां महामाया देवी के मंदिर का भी निर्माण करवाया गया था। जिमें से रतनपुर और रायपुर के महामाया मंदिर प्रमुख है। कहा जाता है कि एक बार राजा मोरध्वज अपनी रानी कुमुद्धती देवी के साथ राज्य भ्रमण पर निकले थे। शाम होने पर राजा अपनी सेना के साथ खारून नदी के तट पर रूक गए। जब रानी अपनी दासियों के साथ स्नान करने नदी पहुंची तो उन्होने देखा कि एक पत्थर का टिला पानी में तैर रही है तीन विशालकाय सांप फन काढ़े उस टिले की रक्षा कर रहे थे। ये देखकर रानी और दासियां डर गई और पड़ाव में लौट आईं। राजा मोरध्वज को ये बात पता चली तो उन्होने अपने राज ज्योतिषों से विचार किया। ज्योतिषों ने उन्हे बताया कि ये कि ये कोई टिला नहीं बल्कि देवी की मूर्ति है।

राजा ने पूरे विधि विधान से पूजा-पाठ कर मूर्ति को बाहर निकाला गया।  देखा तो सिंह पर खड़ी हुई मां महिषासुरमर्दिनी की अष्टभुजी भगवती की मूर्ति है। राजा ने अपने पंडितों, आचार्यों व ज्योतिषियों से विचार विमर्श किया। सभी ने सलाह से भगवती माँ महामाया की प्राण-प्रतिष्ठा की। तभी से पुरानी बस्ती में एक नये मंदिर का निर्माण किया गया है।  पौराणिक इतिहास और मान्यताओं और इसकी बनावट की भव्यता और कारीगरी इसकी भव्यता को दर्शाता है। राजधानी के इस मंदिर का प्रदेश के शक्तिपीठों में विशेष स्थान है।

महामाया मंदिर के पुजारी मनोज शुक्जा ने बताया कि मां महामाया देवी मंदिर का गर्भ गृह की बनावट तांत्रिक विधि से किया गया है। मंदिर का गुमंद श्रीयंत्र के आकार का है जहां मा महामाया देवी लक्ष्मी स्वरूपा विराजमान है। और सरस्वती के रूप में मां सम्लेश्वरी सहित नौ देवियां विराजमान है। मंदिर प्रांगण में एक यज्ञ कुंड है। मंदिर के दूसरे हिस्से की तरह ही इस कुंड का भी अपना इतिहास है। ऐसी मान्यता है कि कई साल पहले इस कुंड की जगह पर ही मंदिर के पुजारी के ऊपर बिजली गिर गई थी। लेकिन पुजारी को कुछ नहीं हुआ। लोग इसे मां महामाया की कृपा मानते है।

शारदीय नवरात सोमवार से
पुरानी बस्ती महामाया माता मंदिर में इन दिनों नवरात्री की तैयारियां जोरों पर है। सजने लगे है फूलवारी और कलश  26 को अभिजात मूहुर्त में प्रज्वलित होगा ज्योति कलश, मंदिर समिति ने बताया कि मंदिर मे ज्योति कलश के लिए  भक्त अपना नाम दर्ज करा रहे हैं। अभी तक लगभग 4 हजार ज्योति कलश के लिए नाम आ चुके है मंदिर समिति नवरात्र से पहले से ही पूरी तैयारी कर चुके है इस बार मंदिर में 11 हजार से अधिक जोत जलाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें माता के भक्त अपना सहयोग देगें। ज्योति कलश के साथ मंदिर में जवारा भी लगाया जाता है  इसके लिए मंदिर में सेवादार इस व्यवस्था में लगे हुए हैं।

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