महासमुन्द

न्याय योजना, कर्जमाफी एवं फसल बीमा का लाभ मिलने से किसानों का रुझान धान फसल की ओर बढ़ा
24-Sep-2022 8:16 PM
 न्याय योजना, कर्जमाफी एवं फसल बीमा का लाभ मिलने से किसानों का रुझान धान फसल की ओर बढ़ा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सरायपाली, 24 सितंबर। किसानों को राजीव गांधी न्याय योजना, कर्जमाफी एवं फसल बीमा का लाभ मिलने से किसानों का रुझान धान फसल की ओर बढ़ा है। समय-समय पर किसानों को न्याय योजना की राशि मिलने से किसानों को खेती किसानी में सहूलियत हो रही है। धान की फसल अब लाभदायक लग रहा है इसलिए अन्य फसल की बजाय धान का रकबा बढ़ा है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सरायपाली तहसील क्षेत्र में धान का रकबा में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है। कृषि विभाग की मानें तो पिछले वर्ष जहां 43266 हेक्टेयर में धान की फसल ली गई थी वहीं इस वर्ष बढक़र 46205 हेक्टेयर हो गया है। इस तरह से पिछले वर्ष के मुकाबले 2939 हे. धान का रकबा बढ़ा है। हालांकि धान का रकबा कम करने के लिए किसानों को अन्य फसल लेने के लिए शासन द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा अन्य फसलों में भी राजीव गांधी न्याय योजना का लाभ दिए जाने के बावजूद भी किसान अन्य फसल लेने की बजाय धान की फसल लेने में ही अधिक रुचि ले रहे हैं।

लक्ष्य से कहीं अधिक धान की बुवाई

इस वर्ष धान फसल लेने के लिए 44422 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला था मगर लक्ष्य से कहीं अधिक 1783 हेक्टेयर में धान की फसल ली गई है। किसानों ने रोपाई की बजाय बुवाई पद्धति को अपनाया है।। 8305 हेक्टेयर में रोपाई का लक्ष्य निर्धारित था मगर 4282 हेक्टेयर में ही रोपाई की गई है जो लक्ष्य का 51 प्रतिशत ही है। किसानों ने सामान्य पद्धति से 4160 हेक्टेयर, कतार पद्धति से 122 हेक्टेयर एवं पैडी ट्रांसप्लांटर से 5 हेक्टेयर में रोपाई किए हैं। श्री विधि से 20 हेक्टेयर रोपाई का लक्ष्य मिला मगर उसकी पूर्ति नहीं हो पाई। लगता है किसान अभी भी श्री विधि से रोपाई को नहीं समझ पाए हैं या फिर कृषि विभाग किसानों को श्री विधि को समझाने में नाकाम रहा है।

बुआई का रकबा बढ़ा

किसानों की मानें तो रोपाई में खर्च अधिक आने एवं मजदूरों की किल्लत को देखते हुए धान की रोपाई करने की बजाय बुवाई करना बेहतर समझ रहे हैं।  इस वर्ष 36387 हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया था मगर बुवाई का रकबा बढ़ कर 40918 हेक्टेयर हो गया जो कुल लक्ष्य का 115फीसदी  है।

किसानों ने छिडक़ा विधि से 24889 हेक्टेयर, लइहारा विधि से 16917 हेक्टेयर एवं कतार बोनी से 112 हेक्टेयर में बुवाई की गई है।

दलहन तिलहन का रकबा घटा

इस वर्ष सरायपाली तहसील क्षेत्र में दलहन तिलहन का रकबा में काफी गिरावट देखने को मिला है। दलहन की फसल के लिए 4656 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित था मगर इस वर्ष किसानों ने मात्र 2048 हेक्टेयर में ही दलहन की फसल ली है, जो लक्ष्य से आधी से भी कम है। लक्ष्य का मात्र 44फीसदी में ही दलहन की बुवाई हुई है। अरहर और मूंग का रकबा तो बढ़ा है मगर उड़द का रकबा में गिरावट दर्ज की गई है। 4200 हेक्टेयर में उड़द बुवाई का लक्ष्य रखा गया था मगर 1375 हेक्टर में ही उड़द की बुवाई हुई है, जो लक्ष्य का मात्र 32फीसदी ही है। इसी तरह तिलहन की खेती का रकबा भी घटा है। तिलहन का रकबा पिछले वर्ष 2020 हेक्टेयर था वहीं इस वर्ष करीब 1711 हेक्टेयर में ही तिलहन की फसल ली गई है जो लक्ष्य का करीब 85फीसदी है। इस वर्ष मूंगफली का रकबा पिछले वर्ष के मुकाबले तो बढ़ा है मगर लक्ष्य से करीब 15फीसदी कम रहा रह गया है। पिछले वर्ष 1620 हे.में मूंगफली बोया गया था जबकि इस वर्ष 1690 में मूंगफली लगाया गया है जबकि 2000 का लक्ष्य रखा गया था।

कोदो कुटकी एवं मक्का की खेती में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है। कोदो कुटकी के लिए 8 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित था जबकि लक्ष्य से दोगुने यानी 16 हेक्टेयर में कोदो कुटकी की फसल ली गई है। इसी तरह 30 हे. में मक्का बुवाई का लक्ष्य रखा गया था जबकि 61 हेक्टेयर खेतों में मक्का की फसल लहलहा रही है। इसी तरह किसानों ने 480 हेक्टेयर में साग सब्जी, 1.4 हेक्टेयर में गन्ना और करीब 3 हेक्टेयर में चारा की फसल ली है।

 

 

 

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