कोरिया

नदियों के अस्तित्व पर खड़ा हो गया है खतरा, भूमिगत जल में आ रही है कमी
25-Sep-2022 2:50 PM
नदियों के अस्तित्व पर खड़ा हो गया है खतरा, भूमिगत जल में आ रही है कमी

अवैध खुदाई से ग्रामीणों के साथ नदियों को हो रही है परेशानी

चंद्रकांत पारगीर

बैकुंठपुर (कोरिया) 25 सितंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। अविभाजित कोरिया जिले में कई दर्जन नदियां प्रवाहित होती है जिसे बचाने की कवायद करने की जरूरत है। आज कोरिया व एमसीबी जिले में प्रवाहित नदियों से नियम विरूद्ध तरीके से रेत का जमकर उत्खनन लगातान किया जा रहा है जिस कारण यहां प्रवाहित होने वाली नदियों पर अस्तित्व समाप्त होने के बादल मंडराने लगे है।

प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों के द्वारा अपने क्षेत्र के नदियों से अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिए सडक़ों तक उपर कर विरोध प्रदर्शन करते रहे लेकिन प्रशासनिक अमला नदियों से अवैध रेत उत्खनन रोकने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पाये है। यदि समय रहते नदियों के अस्तित्व केा बचाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये गये तो नदियों के अस्तित्व को नही बचाया जा सकता है।

जानकारी के अनुसार पृथ्वी में 71 प्रतिशत हिस्से में जल का हिस्सा है जिसमें  97.3 प्रतिशत पानी पीने योग्य नहीं है सिर्फ 25.7 प्रतिशत जल ही मीठा जल है जो पीने योग्य है जो हमें नदियों, झीलों व तालाबों जैसे संसाधनों से प्राप्त होता है लेकिन उक्त सभी के अस्तित्व को विभिन्न कारणों से खतरा उत्पन्न हो गया है। इसलिए विश्व नदी दिवस प्रतिवर्ष सितंबर माह के अंतिम रविवार को मनाये जाने का निर्णय लिया गया। ताकि नदियों तालाबों व अन्य जल स्रोतों का संरक्षण व संवर्द्धन कर सके।

गौरतलब है कि अवैध उत्खनन की गलत नीतियों एवं मानव द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण तथा मानव स्वास्थ्य के कारण अनेक नदियों का अस्तित्व ही समाप्त होते जा रहे है जिसे ध्यान में रखते हुए विश्व के कुछ देशों के संगठन ने नदियों को बचाने के लिए संकल्पित हुए है जिसके कारण सितम्बर के आखिरी रविवार को विश्व नदी दिवस मनाये जाने का निर्णय वर्ष 2005 से शुरू किया गया। जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष नदियों को बचाने के लिए नीति व योजना बनाकर कार्य कर रही है ताकि खत्म होते नदियो के अस्तित्व को बचाया जा सके।

कोरिया एमसीबी जिले में कई नदियां
कोरिया व एमसीबी जिले में कई नदियॉ प्रवाहित होती है जिनमें से प्रदेश की प्रमुख नदी में से एक हसदवे है। हसदेव नदी कोरिया जिले के सोनहत ब्लाक अंतर्गत मेंड्रा से एक तुर्रे से निकली है और मनेंद्रगढ़ व खडग़वां ब्लाक में पहुंचतें यह नदी विशाल नदी का रूप ले लेती है। कोरिया जिले से होते हुए यह नदी कोरबा जिले में पहुंचती है और आगे बढती है। इसके अलावा कोरिया जिले में बनास, गोपद, नेरूर, गेज, प्रमुख नदियों में शामिल है। इनके अलावा गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कई बाहरमासी नदियां भी प्रवाहित होती है। जिसके कारण अब इसको टाईगर रिजर्व घोषित करने की तैयारी है। उक्त सभी नदियां बारहमासी नदियां है गर्मी के दिनों में भी उक्त सभी नदियों में जल का प्रवाह बना रहता है नहीं तो आजकल तो कई बड़ी बड़ी नदियां गर्मी में सूख जाती है बारहमासी नदी बहुत कम बचे हुए है। कई बड़ी नदियों मे भी गर्मी के दिनों में जल का प्रवाह थम जाता है लेकिन कोरिया जिले से उक्त सभी प्रमुख नदियों का प्रवाह गर्मी के दिनों में भी नहीं रूकता बल्कि धीमा जरूर हो जाता है।  

अवैध रेत उत्खनन से नदियों के अस्तित्व को खतरा
कोरिया व एमसीबी जिले में प्रवाहित होने वाले प्रमुख नदियों जिनमें बैकुंठपुर जनपद के डुमरिया नाला, गेज, हसदेव, एससीबी में स्थित गई नदियों के अस्तित्व को बचाना जरूरी है, इन प्रमुख नदियों से अवैध तरीके से लगातार हो रही रेत उत्खनन कार्य को रोका जाये।

कोरिया व एमसीबी जिले में प्रमुख नदियों से अवैध रेत उत्खनन बडा खतरा उत्पन्न कर रहा है। प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों के द्वारा अवैध रेत उत्खनन का विरोध लगातार किया जा रहा है, जलस्तर लगातार घ्ट रहा है, नदियां सूखने लगी है लेकिन रोक नहीं लग पा रही है ऐसे में जिले के प्रमुख नदियों के अस्तित्व को खतरा है इस दिशा प्रशासनिक पहल करनी होगी। साथ ही जनप्रतिनिधियों को भी इस दिशा में आगे आने की जरूरत है। क्योकि जिले की नदियों को सिर्फ अवैध रेत उत्खनन से ही ज्यादा खतरा है कल कारखाने नहीं होने के कारण प्रदूषण की समस्या यहां नही है।

नदियों किनारे सधन पौधारोपण किया जाये
कोरिया व एमसीबी जिले के नदियां ज्यादातर क्षेत्र में जंगल के बीच से प्रवाहित होती है लेकिन जिन क्षेत्रों में प्रमुख नदियां शहरी क्षेत्र से प्रवाहित होती है उन क्षेत्रों में नदियों के किनारे सघन वृक्षारोपण करने की जरूरत है ताकि नदियों किनारे मिट्टी का कटाव को कम किया जा सके। शहर के प्रदूषण को नदियों में प्रवाहित न किया जाये। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में शहर की जीवनदायिनी गेज नदी प्रवाहित होती है। इस नदी में शहर के ड्रेनेज सिस्टम से निकली गंदा पानी बिना उपचारित किये ही गेज नदी में प्रवाहित हो रही हे जिससे कि नदी प्रदूषित हो रही है। इस दिशा में शहर के जनप्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर गेज नदी केा प्रदूषित होने से बचाने के उपाय करने की मांग की गयी थी लेकिन इस दिशा में अब तक कोई प्लान नहीं बनाया गया है। ऐसे ही जिले के कई शहरों के किराने से प्रवाहित होनें वाली नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए आवश्यक उपाय करने की जरूरत है।  
 

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