रायगढ़

पर्यटन की असीम संभावनाएं समेटे रायगढ़
27-Sep-2022 2:58 PM
पर्यटन की असीम संभावनाएं समेटे रायगढ़

प्राकृतिक खूबसूरती से पर्यटकों को कर रहा आकर्षित

प्रदेश सहित देश विदेश से भी.पहुंचते हैं सैलानी

नरेश शर्मा

रायगढ़,  27 सितंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर में बसा रायगढ़ जिला अपनी खूबसूरती की वजह से प्रदेश के साथ साथ पड़ोसी प्रांत ओडिशा, झारखण्ड, बिहार के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां के गुफाए यहां के झरने और यहां के प्राचीन मंदिरों को देखने के लिए आज भी देश विदेश के लोग यहां पहुंचते हैं।

अपनी खूबसूरती को समेटे रायगढ़ जिले में पर्यटन की ढेर सारी संभावनाओं छिपी हुई हैं। यहां की गुफाएं आज भी रहस्यमयी है। जिनके कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें सुनकर पर्यटक वहां जाने के लिए बेताब हो जाते हैं। पर्यटक बारिश के मौसम में पहाड़ों पर बने प्राकृतिक  झरना अटल रॉक गार्डन बोतल्दा झरना, माडो सिल्ली सारंगढ़, देलारी वाटर फॉल, बिंजकोट झरना, रामझरना, टीपाखोल नाला झरना, डोंगाढकेल स्थित परसदा वाटर फॉल में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। साथ ही साथ यहां के दार्शनिक स्थलों की एक अलग पहचान बन चुकी है। जिसमें कोसमनारा बाबाधाम, बुढ़ीमाई मंदिर, बंजारी मंदिर, मानकामेश्वर मंदिर पंडरीपानी के अलावा गजमार पहाड़ी में स्थित पहाड़ मंदिर प्रमुख है। इन स्थलों में दूर दूर से लोग यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं। यहां पहाड़ो से निकलने वाले झरने और जंगलों के बीच खूबसूरती देखते ही बनती है।

रायगढ़ जिले की पर्यटन स्थल की बात करें तो सबसे पहले रायगढ़ जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर स्थित रामझरना का नाम आता है। कहा यह जाता है कि अयोध्या के राजकुमार भगवान राम जब वनवास में थे तब वे इस जगह आए थे जिसके चलते इसका नाम रामझरना पड़ा। यह स्थल प्रकृति प्रेमी और धार्मिक भावनाओं में आस्था रखने वालों को अपनी ओर आकर्षित करता है। रामझरना को भगवान श्रीराम के वनवास काल से जुडा हुआ इसलिए बताया जाता है। भगवान श्रीराम जब 14 वर्ष वनवास में थे इस दौरान उनका यहां आगमन हुआ था। किवदंति यह है  यहां पर सीता माता को जब प्यास लगी तब भगवान श्री राम ने पीने के पानी के लिए जमीन में तीर चलाया गया था जिससे आज भी पानी अनवरत निकल रहा है। तब से इस स्थल को रामझरना के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां के कुंड में नहाने या पानी पीने से शरीर के आंतरित और बाहरी रोगों से मुक्ति मिलती है। यहां की हरियाली और शांत वातावरण पर्यावरण प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। सैकड़ों एकड़ में फैले इस रामझरना को देखने के लिए देश विदेश से भी लोग पहुंचकर पूजा अर्चना के साथ पर्यटन का लाभ उठाते हैं।

केलो डेम

रायगढ़-घरघोड़ा मार्ग में स्थित केलो डेम भी पर्यटकों को अपनी ओर खीचने में पीछे नही रहा है। केलो डेम शहर से तकरीबन 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जगह में बांध के अलावा एक बेहद खूबसूरत पार्क भी बनाया गया है। जहां पार्क में चहूंओर हरियाली, सेल्फी पाइंट  बच्चों के लिए झूले, झरना आदि है। शहरवासी अक्सर यहां परिवार के साथ प्रकृति की वादियों में वक्त बिताने पहुंचते हैं। पिकनिक मनाने, फोटो वीडियो शूट के लिए भी यह जगह बहुत अच्छी है। यहां का मनमोहक दृश्य देखने दूर दराज से लोग यहां पहुंचते हैं। पर्यटन की दृष्टि से केलो डेम के पास एक बडा पार्क इसलिए बनाया गया था चूंकि यहां आने वाले लोगों को पूरे परिवार के साथ शांति प्रिय वातावरण मिले और इसलिए इस स्थल को और अधिक संवारने के लिए रेस्ट हाउस के साथ साथ अन्य सुविधाओं के विस्तार की योजना बनाई गई है।

इंदिरा विहार और इको पार्क

रायगढ़ शहर के अंदर जहां इंदिरा विहार तो वहीं शहर से बाहर एकताल रोड स्थित इको पार्क भी पर्यावरण प्रेमियों एवं पर्यटकों के लिए खूबसूरत जगहों में से एक है। इन जगहों में कई प्रकार के जंगली जानवर देखे जाते है। इंदिरा विहार में चीतल, जंगली सुअर, खरगोश, जंगली मुर्गी वहीं इको पार्क में भालू, चीतल, लकडबघ्घा, खरगोश, आदि जंगली जानवर देखे जाते हैं। वन विभाग के द्वारा जंगलों में रहने वाले इन जंगली जानवरों की देखभाल की जाती है। खासकर गर्मी के दिनों में उनके लिए पानी की व्यवस्था विभाग के द्वारा की जाती है। ताकि वन्य प्राणियों को पानी के लिए भटकना न पड़े। इंदिरा विहार में आंवला नवमी और कार्तिक पूर्णिमा में मेले सा माहौल रहता है। इस दौरान रायगढ़ के अलावा अन्य प्रदेशों से भी लोग यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं तो वहीं इको पार्क भी पर्यटक पिकनिक मनाने पहुंचते है। शहर से लगे होनें के चलते इन दोनों जगहों में हर त्यौहार में सैकड़ो की संख्या में पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है।

बोतल्दा रॉक गार्डन

खरसिया विधानसभा के ग्राम बोतल्दा में स्थित अटल रॉक गार्डन खरसिया से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां की खूबसूरत प्राकृतिक झरना से कल कल बहती धारा मन को शांति देती है। यह स्थल पिकनिक के लिए काफी लोकप्रिय है। बताया जाता है कि बोतल्दा के नजदीक पहाड़ के दो हजार फीट की उंचाई में सिंह गुफा है। जहां दीवारों में पशुओं के शिकार के दृश्य और भित्ती चित्र हजारों साल पहले से बने हुए हैं। इस गुफा से एक झरना भी बहता है। इस झरने की वजह से भारी संख्या में यहां पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है। पर्यटकों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए वन विभाग के द्वारा इसे पूर्ण रूप से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा जा चुका है। जहां शासन द्वारा इसे स्वीकृति दे दी गई है और बहुत जल्द यहां पर्यटकों के लिए सुविधा उपलब्ध कराया जाएगा। खरसिया शहर से लगे इस पर्यटन स्थल की पहचान अलग तरह की है चूंकि इसके झरने के साथ साथ आसपास का माहौल रहस्यमय हैं चूंकि झरनों के साथ साथ यहां ऐसी गुफाए है जिनके भीतर कभी आदिमानव बसा करते थे। ऐसा माना जाता है।

गोमर्डा अभ्यारण


रायगढ़ से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर सारंगढ़ में स्थित गोमर्डा अभ्यारण्य 275 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस अभ्यारण में कई प्रकार के जंगली जानवर पाए जाते हैं जैसे तेंदुआ, हिरण, चीतल, जंगली भैसा, नीलगाय, गौर, सांभर, जंगली कुत्ता, मोर, सियार आदि प्रमुख है। गोमर्डा अभ्यारण्य का माडो सिल्ली जलप्रपात की खूबसूरती देखते ही बनती है। सारंगढ़ क्षेत्र का यह सबसे खूबसूरत पिकनिक स्पष्ट है। हर साल यहां भारी तादाद में पर्यटकों की भीड़ रहती है। इस स्थल को जंगली सफारी की तर्ज पर विकसित करने की बात अधिकारियों के द्वारा कही जाती है। गोमर्डा अभ्यारण्य को देखने से ऐसा लगता है कि हम किसी दूसरे देश में आ गए है चूंकि यहां की फिजाएं बेहद खूबसूरत है। दूर दूर तक हरे भरे जंगलों के बीच विचरण करते जंगली जानवर यहां आने वाले लोगों को और अधिक आकर्षित करते है। वन विभाग के देखरेख में गोमर्डा अभ्यारण्य छत्तीसगढ़ ही नही पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है।

टीपाखोल डेम

शहर से तकरीबन 8 किलोमीटर दूर ग्राम खैरपुर के पास स्थित टीपाखोल पर्यटक स्थल अपनी प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां के जलाशय में हर महीना पानी भरा रहता है। प्रतिदिन यहां अलग-अलग समूहों में लोग पिकनिक मनाते देखे जा सकते हैं। परिवार के साथ शहर के अलावा दूर दराज से लोग यहां घूमने भी आते हैं। खासकर बरसात के दिनों में यहां की सुंदरता देखते ही बनती है। यहां लगातार पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस स्थल को और अधिक विकसित करने की बात अधिकारी कहते हैं। देखरेख के अभाव में यह टीपाखोल डेम अपना पुराना अस्तित्व खो चुका है बावजूद इसके यहां पर्यटक बडी संख्या में पहुंचते हैं।

पूर्वांचल का रहस्य कबरा पहाड़ी

रायगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर पूर्वांचल क्षेत्र में लोईंग और विश्वनाथपाली गांव के बीच कबरा पहाड़ स्थित है। जहां दसवी शताब्दी के शैलचित्र बने हुए पाये गए हैं। यही नही यह पहाड़ी अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। इस कबरा पहाड़ और रहस्यमयी बादली गुफा के बारे में और विस्तृत जानकारी देते हुए अंचल के वरिष्ठ पत्रकार शेषचरण गुप्ता ने बताया कि पूर्वांचल क्षेत्र स्थित कबरा पहाड़ पर्यटन और पूरातत्व की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। जहां दसवी सदी के शैलचित्र बने हुए पाये गए हैं। उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग की टीम सहित प्रदेश तथा देश के मीडिया के कई लोगों को लेकर वे कई बार कबरा पहाड़ी पर चढ़ चुके हैं।

कबरा पहाड़ पर बादली गुफा भी है जो अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। इसके अंदर जाने के लिये कई बार प्रयास हो चुके हैं मगर चमगादड़ों की भरमार होनें के कारण इसके भीतर अब तक कोई नही पहुंच पाया है। ऐसी किवदंती है कि बादली गुफा के भीतर राज घराने का इतना खजाना छिपा हुआ है कि पूरे विश्व को तीन दिनों तक भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है। श्री गुप्ता ने यह भी बताया कि पुरातत्व विभाग और वन विभाग के अधिकारी कई बार इस जगह का मुआयना कर चुके हैं मगर यहां के पुरातन ऐतिहासिक शैलचित्रों को सहेजने और संवारने के लिये अब तक कोई पुख्ता इंतजाम नही हो सका है। यहां तक कि यहां आने वाले पर्यटकों को कबरा पहाड़ पर चढऩे तथा बादली गुफा तक पहुंचने के लिये पहुंच मार्ग नही होनें के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो पुरातनकालीन शैलीचित्रों से सुज्जजित यह कबरा पहाड़ रायगढ़ की नई पहचान बन सकती है।

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