कोरिया
रावण दहन मामले पर विवाद थमता नहीं आ रहा है नजर
छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया) 28 सितंबर। इस वर्ष कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के रामानुज मिनी स्टेडियम में कांग्रेस समर्थित स्व. डॉ रामचंद्र सिंहदेव स्मृति स्पोस्टर््स समिति को प्रशासन ने रावण दहन करने की अनुमति दी है, जबकि जिला मुख्यालय बैकुंठपुर मे विगत कई वर्षों से कोरिया सर्व विकास समिति के अनुमति के आवेदन को खारिज कर दिया गया, जिसके बाद कोरिया सर्व विकास समिति ने मामले का पटाक्षेप करते हुए विवाद से बचने खुद को अलग कर लिया, परन्तु जो रावण का पुतला बनाया जा रहा था, उसका खर्च कोरिया सर्व विकास समिति द्वारा किया जा रहा है। उसे लेकर अब विवाद शुरू हो गया।
प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी कोरिया सर्व विकास समिति ने आवेदन लगाने के साथ ही मिनी स्टेडियम में रावण दहन कार्यक्र्रम के लिए रावण मेघनाथ व कुंभकरण का पुतला बनाने का कार्य शुरू कर दिया था और पुतले के ढांचे खड़े कर दिये गये थे। बाद में इस वर्ष नई गठित समिति स्व डॉ. रामचंद्र सिंहदेव स्मृति स्पोर्ट्स को मुख्यालय में रावण दहन की अनुमति प्रदान की गयी। जिसके बाद एसडीएक के साथ हुई बैठक में पुरानी समिति द्वारा बनाई जा रही पुतले निर्माण की राशि देने पर बात बनी।
इसी बीच सोशल मीडिया के कोरिया बचाओ मंच नामक व्हाट्सअप ग्रुप में फोटोग्राफर शैलेंद्र शर्मा ने लिखा कि रावण को बेच दिया गया, जिस पर किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, कुछ देर बाद पूर्व जनपद सदस्य विपिन बिहारी जायसवाल ने नई समिति द्वारा वापस की गई राशि का स्क्रीनशॉट डालकर लिखा कि बिकता तो सब कुछ है खरीददार सही होना चाहिए।
इसके बाद कोरिया सर्व विकास समिति के संरक्षक देवेन्द्र तिवारी ने कहा कि एसडीएम के सामने यह तय हुआ था जो हमारी समिति के द्वारा रावण निर्माण में जो खर्च आया, उसे नई समिति के द्वारा वापस लिया गया है।
उनके समर्थन में दर्जनभर सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई, परन्तु पूर्व जनपद सदस्य का कोई जवाब नहीं आया, जिसके बाद देवेन्द्र तिवारी ने नई समिति द्वारा दी गई राशि रात में ही लौटा दी और अब मामला प्रशासन पर डाल दिया। उनका कहना है कि हमारे पैसे से बने रावण का दहन दूसरी समिति धौंस दिखाकर सकती है यह देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस की रणनीति हुई सफल
अभी तक कोरिया सर्व विकास समिति द्वारा रावण दहन का आयोजन किया जाता रहा है, पहली बार पूर्व जिला पंचायत सदस्य और भाजपा उपाध्यक्ष देवेन्द्र तिवारी को समिति ने संरक्षक बना दिया, जिसके बाद सामाजिक आयोजन होने लगे, रावण दहन कार्यक्रम को लेकर भाजपा के अंदरखाने में इसका विरोध देखा जा रहा था। बात यह थी कि कहीं रेस में देवेन्द्र तिवारी आगे न निकल जाए, बस यही कारण समिति के खर्च की गई राशि वापस लेने को लेकर भाजपा से जुड़े लोग ही सवाल खड़़े करने लगे, कांग्रेस की यही रणनीति में सफल होते दिखी।