राजनांदगांव

देखें VIDEO'S : पदयात्रियों की सेवाभाव से दूर हुए प्रशासन और समाजसेवी संस्थाएं
30-Sep-2022 12:09 PM
देखें VIDEO'S : पदयात्रियों की सेवाभाव से दूर हुए प्रशासन और  समाजसेवी संस्थाएं

बारिश में भीगते बिना सुविधा चलने मजबूर, गिनती के पंडाल में भी सुविधाएं नाम मात्र की

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 सितंबर।
मां बम्लेश्वरी के पदयात्रियों को सफर में बड़ी मुश्किलें हो रही है। पदयात्रियों की सेवाभाव से प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं ने मुंह फेर लिया है। एक वक्त था जब पदयात्रियों की खैर-खबर के लिए जिले की सरहद से डोंगरगढ़ मंदिर तक दर्जनों पंडाल में सुविधाओं से लैस हुआ करती थी। लंबी दूरी तय कर जिले में दाखिल होते ही पदयात्रियों को सुविधाओं के अभाव में मायूसी हाथ लगी है। आलम यह है कि पंडाल लगभग पूरी तरह से गायब हैं और जहां पंडाल हैं, वहां सुविधाएं नाम मात्र की है।

संस्कारधानी की सेवाभाव की खूबियां सुनकर धमतरी, दुर्ग, रायपुर और बालोद जिले से पदयात्री दर्शन के लिए डोंगरगढ़ पहुंचते हैं। मौजूदा क्वांर नवरात्रि में पदयात्रियों को थकान मिटाने के लिए जगह तलाश करनी पड़ रही है। कहीं-कहीं पदयात्री निजी होटलों में आराम फरमाकर आगे का सफर तय कर रहे हैं। राजनांदगांव शहर को पदयात्रियों की देखभाल और सुख-सुविधा मुहैया कराने के लिए जाना जाता है। अंजोरा से डोंगरगढ़ की दूरी लगभग 65 किमी है। इस दौरान पदयात्रियों के निर्धारित रूट पर पंडालों में खानपान की सुविधा और सुस्ताने के लिए खास बंदोबस्त होता रहा है, लेकिन इस बरस के नवरात्रि में तमाम सुविधाएं एक तरह से खत्म कर दी गई है। प्रशासन का भी ध्यान सुविधाओं को लेकर नहीं है। प्रशासन के मुंह फेरते ही समाजसेवी संस्थाओं ने भी पदयात्रियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। पंडालों की कमी से स्वास्थ्य सुविधा भी पदयात्रियों से छीन ली गई है। पदयात्री अपने निजी व्यवस्था के तहत आस्था  का जोत जलाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

जिला प्रशासन की खामियां पदयात्रियों पर भारी पड़ रही है। इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’ ने कुछ पदयात्रियों से सीधी बात की।  रायपुर के रहने वाले डेविड सोनी ने बताया कि वह 17 साल से नियमित मां बम्लेश्वरी के दर्शन के लिए पदयात्री के तौर पर आ रहे हैं। महिलाओं के लिए सुविधाएं नहीं है। जैसी पहली सुविधा थी उसे बंद कर दिया गया है। इसी तरह रायपुर के ही अखिल तिवारी ने बताया कि खराब रास्तों ने दम निकाल दिया है। प्राईवेट संस्थाओं ने भी व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया है। प्रशासन को सुविधा मुहैया कराना चाहिए।

खराब मौसम से पदयात्रियों का जोश हो रहा ठंडा
खराब मौसम भी पदयात्रियों के जोश को ठंडा कर रहा है। विपरीत मौसम होने के बावजूद पदयात्री आगे सफर करते बढ़ रहे हैं, लेकिन व्यवस्था नहीं होने का खामियाजा पदयात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। पंडालों की व्यवस्था होने से विपरीत मौसम में ठहराव  से पदयात्रियों की हिम्मत बढ़ती है। निर्धारित रूट मोतीपुर से सुकुलदैहान होकर मुसरा के रास्ते डोंगरगढ़ पहुंचने के दौरान पदयात्रियों को बरसात के दौरान लोगों से ठहरने के लिए मदद मांगनी पड़ रही है। बुरी दशा देखकर पदयात्रियों के प्रति लोगों के मन में प्रशासन के खिलाफ नाराजगी बढ़ी है। धार्मिक नजरिये से लोग पदयात्रियों का हौसला अफजाई कर रहे हैं, लेकिन वह नाकाफी है। ऐसे में खराब मौसम ने पदयात्रियों के मन को डांवाडोल कर दिया है। कुछ पदयात्री अधूरा सफर छोडक़र वापस लौटने मजबूर हैं। तमाम परिस्थितियों से प्रशासन वाकिफ है, लेकिन उनकी खैरियत को लेकर अफसरों ने आंख मंूद ली है।

 

 

 

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