रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 सितंबर। जन संस्कृति मंच के 16 वें राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन में अब केवल आठ दिन शेष रह गए हैं। इसमें शामिल हो रहे लेखकों और कवियों से फ़ासीवाद के खिलाफ प्रतिरोध, आज़ादी और लोकतंत्र की संस्कृति की रक्षा को बल मिलेगा। इनमें सूक्ष्म आलोचकीय दृष्टि के चलते आलोचक जयप्रकाश की देश में अपनी एक विशिष्ट पहचान कायम है।कहानी की उपस्थिति और लोक का अंत:संसार उनकी चर्चित किताबें है। इसी तरह से जन संस्कृति मंच दिल्ली की सचिव अनुपम सिंह कविताएं खौफनाक समय से मुठभेड़ करना जानती है।8 और 9 अक्टूबर को जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करने के लिए वे भी रायपुर आ रही है। जीवन की विडंबनाओं को बेहद सशक्त ढंग से चित्रित करने वाली देश की नामचीन लेखिका जया जादवानी ने स्त्री विमर्श को एक नई आवाज़ दी है।समाज की रूढि़वादिता और बंदिशों पर लगातार प्रहार करने वाली जया जादवानी के अब तक चार कविता संग्रह, दस कहानी संग्रह,छह उपन्यास और अनुवाद की दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. फ़ासीवाद को लेकर जया जादवानी का नज़रिया एकदम साफ है. उनका कहना है-एकजुटता से ही कोई रास्ता निकलेगा।
रूपम मिश्रा नई पीढ़ी की सबसे सशक्त कवियित्री है.उनकी कविताएं लैगिंग भेदभाव का जबरदस्त ढंग से खुलासा करती है. उनकी कविताओं में और भी ऐसा बहुत कुछ दर्ज है जो बेचैन कर जाता है।