महासमुन्द

देवी मंदिरों में जल रहे आस्था के ज्योत, माता के भक्ति में डूबे भक्त
30-Sep-2022 7:39 PM
देवी मंदिरों में जल रहे आस्था के ज्योत, माता के भक्ति में डूबे भक्त

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सरायपाली, 30 सितंबर। विगत 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गई है, और सभी देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योत प्रज्वलित किए जा रहे हैं, क्षेत्र का सबसे बड़े आस्था का केंद्र रुद्रेश्वर मंदिर सिंघोंड़ा को माना जाता है, जहां छत्तीसगढ़ के अलावा दिगर प्रांत के लोग भी आस्था का ज्योत जलवाते है, पूरे ब्लॉक में सबसे अधिक ज्योत सिंघोड़ा स्थित मंदिर में ही जलाया जा रहा है। पश्चात दूसरे नंबर पर घंटेश्वरी मंदिर में ज्योत जलाये जा रहें हैं,नौ दिनों तक माता के भक्ति में डूबे रहेंगे, शहर में भी कई स्थानों पर सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समितियों के द्वारा  माँ दुर्गा कि प्रतिमा विराजित किया है,जहाँ शाम होते ही पुरा शहर माता के जयकारों से गूंज रहा है।

नवरात्रि प्रारंभ होते ही शहर सहित ग्रामीण अंचलों में रात्रि में विभिन्न प्रकार के जसगीत,जगराता आदि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, पूरा अंचल माता के भक्तिमय वातावरण में डूबा हुआ है, शहर के सभी मोहल्लों में समितियों द्वारा माता दुर्गा की प्रतिमा विराजित की गई है जहां सुबह,शाम भक्तों की काफी भीड़ थी देखी जा सकती है, तो वही देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योत प्रज्वलित किया जा रहा है, रुद्रेश्वरी मंदिर सिंघोंड़ा में 2 हजार से अधिक ज्योत जल रहे हैं, वहीं घंटेश्वरी मंदिर सरायपाली में 671 तेल के ज्योत जल रहें हैं, पंकजाक्षी अमरकोट में 220 ज्योत जल रहे हैं, जिसमें 215 तेल के,5 ज्योत घी के जल रहे हैं। इसके अलावा दुर्गा मंदिर सरायपाली, व विभिन्न देवी मंदिरों में आस्था के ज्योत जल रहे हैं।

मन्नत पूरा करने नारियल नाप करते देवी मंदिर तक पहुंचते हैं भक्त

कई भक्त कई तरह के मन्नत मांगे रहते हैं अपनी मुराद पुरा करने कोई भक्त नंगे पैर पैदल मंदिर पहुंचते हैं, तो कुछ वक्त नारियल से नाप करते हुए मंदिर तक जाते हैं,इन दिनों विभिन्न मार्गों में सुबह अपनी मुराद पूरा करने भक्तों को मंदिर जाते देखा जा सकता है,

पंचमी और अष्टमी को मंदिरों में भक्तों की रहती है भीड़

सिंघोड़ा स्थित रूद्रेश्वरी मंदिर में शारदीय नवरात्रि के पंचमी व अष्टमी को भक्तों का तांता लगा रहता है, भक्तों का मानना है कि इस दोनो तिथि को माता की विशेष पूजा कि जाती है।

इस दिन आराधना करने से मुराद पूरी होते हैं और सबसे अधिक इन दोनों तिथि को भक्तों को पैदल सरायपाली से सिंघोड़ा जाते देखा जा सकता है।

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