महासमुन्द
अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर विशेष
उत्तरा विदानी
महासमुंद, 1 अक्टूबर(‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। जिले में जाना पहचाना नाम है विश्वनाथ पाणिग्रही। युवावस्था में सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना इनका ख्वाब था, लेकिन कद से चूक गए। देश सेवा के मिशन को उन्होंने नया मोड़ दिया और पर्यावरण संरक्षण को जीवन का मिशन बनाया। इसके बाद इनका मन इसमें ऐसा रमा कि पीछे मुडक़र कभी देखा ही नहीं। उम्र के 71वें पड़ाव पर भी युवाओं जैसा हौसला कायम है। मलेशिया से लेकर यूएस तक ने इनके कामों को सराहा और पीएम ने मन की बात में उनकी चर्चा भी की।
जिले के पिथौरा ब्लॉक के सलडीह निवासी विश्वनाथ पाणिग्रही अभी 71 साल की उम्र में भी पर्यावरण का संरक्षण मुस्कुराते हुए कर रहे हैं। यह सब उनकी आदत में शामिल है। उन्हें अपने काम की वजह से स्थानीय के अलावा राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 300 से ज्यादा पुरस्कार मिलेे हैं। विश्वनाथ पाणिग्रही अभी एक निजी कंपनी में मैनेजर के रूप में काम करते हैं और अपनी सैलरी समाज सेवा में लगा रहे हैं। इस तरह जिस उम्र में लोगों को सहारे की जरूरत होती है, उसमें वे न सिर्फ दूसरों के मददगार हैं, बल्कि पर्यावरण को बचाने की मुहीम भी चला रहे हैं।
विश्वनाथ पाणिग्रही को केंद्रीय मंत्री की ओर से स्वच्छता दूत सम्मान मिल चुका है। वे महासमुंद जिले के नवरत्नों में शामिल हैं। कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए यूएस से सम्मानित हो चुके हैं। ग्राम बरबसपुर में खुले में शौच मुक्त अभियान के लिए सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में इनके कामों की चर्चा और सराहना की। छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके काम पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है। कोरोना जागरूकता के लिए 17 दिसंबर 20 को रेडक्रास श्रेष्ठ वालंटियर कोरोना व रियर अवार्ड मिला। उन्हें ओडीएफ अभियान में योगदान के लिए 22 मार्च 2016 को स्वच्छता दूत सम्मान, 16 नवंबर 2016 को दिल्ली में स्वच्छता सम्मान, समाजसेवा के लिए 7 फरवरी 2019 को इंडो मलेशिया फ्रेंडशिप अवार्ड, पर्यावरण संरक्षण के लिए 17 दिसंबर 2004 को रेड एंड व्हाइट ब्रेवरी अवार्ड, कुष्ठ उन्मूलन में सहयोग के लिए 15 अगस्त 2002 अमेरिकन लेप्रोसी मिशन की ओर से लेप्रोसी मिशन पुरस्कार मिला है।