कोण्डागांव

आदिवासियों के आरक्षण में कटौती के लिए भाजपा दोषी-मरकाम
04-Oct-2022 10:15 PM
आदिवासियों के आरक्षण में कटौती के लिए भाजपा दोषी-मरकाम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 4 अक्टूबर।
छग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह विधायक मोहन मरकाम ने आज पत्रकार वार्ता में अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण में कटौती के लिए पूर्ववर्ती रमन सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि, भाजपा कितनी भी नौटंकी कर ले, उसकी गलती छुपने वाली नहीं है। प्रदेश का आदिवासी समाज भाजपा को माफ नहीं करेगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि, कांग्रेस आदिवासी समाज के सामने भाजपा की इस बदनीयती को बेनकाब करेगी। कांग्रेस बतायेगी रमन सरकार ने जानबूझकर ऐसा फैसला लिया था, जो कोर्ट में रद्द हो जाय। अपने फैसले को बचाने के लिए ठोस उपाय नहीं करने के रमन सिंह की बदनीयती सामने आई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि, कांग्रेस सरकार बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी है। कांग्रेस आदिवासी समाज के हितो के लिये पूरी कानूनी लड़ाई लड़ेगी। हमें पूरा-पूरा भरोसा है राज्य के आदिवासी, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग सभी के साथ न्याय होगा। उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण का लाभ मिलेगा। पूर्ववर्ती रमन सरकार ने यदि 2012 में बिलासपुर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किये गये मुकदमे में सही तथ्य रखे होते तथा 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के समय दूसरे वर्ग के आरक्षण की कटौती के खिलाफ निर्णय नहीं लिया होता तब आरक्षण की सीमा 50 से बढक़र 58 हो ही रही थी, तो उस समय उसे 4 प्रतिशत और बढ़ा देते तो सभी संतुष्ट होते न्यायालय जाने की नौबत ही नहीं आती और न आरक्षण रद्द होता।

आदिवासी समाज के सामने भाजपा को बेनकाब करेगी कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि, आरक्षण को बढ़ाने का निर्णय हुआ उसी समय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य सरकार को अदालत के सामने आरक्षण को 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने की विशेष परिस्थितियों और कारण को बताना था। तत्कालीन रमन सरकार अपने इस दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पायी।

2012 में बिलासपुर उच्च न्यायालय में 58 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर हुई। तब भी रमन सरकार ने सही ढंग से उन विशेष कारणों को प्रस्तुत नहीं किया जिसके कारण राज्य में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत किया गया।

आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में मंत्री मंडलीय समिति का भी गठन किया था। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी कमेटी बनाई गयी थी। रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जिसका परिणाम है कि, अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया। रमन सरकार की बदनीयती से यह स्थिति बनी है और आज अपनी नाकामी और बदनीयती के सामने आने से बचाव के लिए झूठे तथ्य रख अपने आपको आदिवासी समाज की हितैषी दिखाने का प्रयास कर रही है। लगातार झूठे बयानबाजी कर रही है।

2013 तक लता उसेंडी राज्य की तत्कालीन भाजपा शासन में मंत्री थी और उसके बाद 2018 तक राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त कर नान अध्यक्ष रही वही केदार कश्यप 2018 तक राज्य शासन में मंत्री रहे तब तक उन्हें इस बात की चिंता नहीं हुई ना उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह को इस मुद्दे को संज्ञान में लेने हेतु कहा।

आदिवासी समाज को उनका हक दिलाने का कोई प्रयास किया और आज जब उनकी नाकामियां समाज के सामने आ गई तो, अपनी नाकामी को छुपाने के लिए लगातार बयानबाजी कर अपने आपको आदिवासी समाज का हितैषी साबित करने का कुत्सित प्रयास कर रहे है, लेकिन आदिवासी समाज भी अब जान गया है कि, उनके हक पे डाका भाजपा ने मारा है और वो इसका उचित जवाब भाजपा को जरूर देगी ।

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