बस्तर

रथारूढ़ माटी पुजारी के बिना विश्व प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव का संचालन- राजपुरोहित
07-Oct-2022 3:15 PM
रथारूढ़ माटी पुजारी के बिना विश्व प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव का संचालन- राजपुरोहित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 7 अक्टूबर।
सन 1947 तक का बस्तर सात जिलों का बस्तर संभाग है, रियासत काल से यहां के राजे महाराजे चालुक्य अथवा काकतीय चंद्रवंशी हैं संपूर्ण बस्तर स्टेट तेलंगाना के साथ ही छत्तीसगढ़ प्रांत के इकलौते महाराजा कमल चंद्र भंजदेव हैं। जनजाति परंपराओं से ओतप्रोत बस्तर अंचल विश्व स्तरीय सांस्कृतिक धरातल है। देश के जनजातीय परंपराओं के ऊपर कुठाराघात करने से देश का संविधान इसके लिए अनुमति प्रदान नहीं करता है। बस्तर जनजातीय परंपराओं के प्रथम माटी पुजारी का पद 1408 ईस्वी से बस्तर राज्य अंचल के महाराजा को प्राप्त है।

उपरोक्त विषय तथ्य के साथ बस्तर स्टेट के राजपुरोहित पंडित जोगेंद्र महापात्र कहते हैं कि 25 मार्च 1966 के पूर्व तक राज महल गोलीकांड विश्व प्रसिद्ध महामहोत्सव के माटी पुजारी प्रवीर चंद्र भंजदेव रहे हैं जो मां दंतेश्वरी के क्षेत्र को लेकर रथारूढ़ होकर बस्तर की प्रजा से आत्मीय लोकप्रियता प्राप्त करते थे। तत्कालीन केंद्र सरकार तथा मध्यप्रदेश राज्य सरकार के द्वारा राज महल गोलीकांड को विवादास्पद बना देने के कारण पांच दशक से ऊपर का समय हो गया है, प्रवीर चंद्र भंजदेव के विरासत उनके पुत्र कमल चंद्र भंजदेव को माटी पुजारी के रूप में छत्र लेकर रथारूढ़ नहीं करवाना जहां माटी पुजारी की उपेक्षा है वहीं जन सांस्कृतिक परंपरा के ऊपर खलल पैदा करता है।

राजपुरोहित पंडित जोगेंद्र महापात्र ने कहा है कि इस गंभीर दशहरा रथोत्सव को लेकर जो बिना माटी पुजारी के संचालित है, इस आशय का पत्र गत वर्ष के साथ ही इस वर्ष भी प्रधानमंत्री भारत सरकार को लिखा गया है कि वे जनजातीय परंपरा बस्तर रथ उत्सव के लिए अविलंब कदम उठाकर कमल चंद भंजदेव को रथारूढ़ करवाकर मां दंतेश्वरी के प्रति आस्था प्रकट करें। पत्र को कार्रवाई करने के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के साथ बस्तर के जनप्रतिनिधियों और कमिश्नर तथा जिला प्रशासन को भी अवगत कराया गया है।

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