रायपुर
विवेकानन्द विद्यापीठ में आत्मानन्द स्मृति व्याख्यान
रायपुर, 7 अक्टूबर। विवेकानन्द विद्यापीठ, कोटा रायपुर ने स्वामी आत्मानन्द स्मृति व्याख्यान आयोजित किया। इसमें डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा, प्रो- चांसलर, दत्त मेधे इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस ने कहा कि कोई भी देश भूगोल का टुकड़ा मात्र नहीं होता, अपितु प्रेरणा उसका अस्तित्व, उसकी अस्मिता ही उनके आधार का व्याख्यान करता है। मनुष्य की पहचान देश से ही होती है। देशप्रेम अस्तित्व की पहचान होती है। भारत की सांस्कृतिक उदारता में वैश्विकता समाधी हुई है। स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो महासभा में भारत के सांस्कृतिक विरासत से दुनिया की पहचान कराई। उन्होंने बताया कि भारत प्रेम का ज्वलंत प्रतीक है, अमेरिका में विलासिता के स्वरूप को देख चुके स्वामीजी को भारत की भूमि पावन तीर्थ लगने लगी। स्वामी जी ने त्याग और देश सेवा को भारत का राष्ट्रीय आदर्श बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बिलासपुर आश्रम के सचिव स्वामी सेवाप्रवानन्द ने कहा कि स्वामी आत्मानन्द जी अपने अहंकार को शून्य बना चुके थे। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनके प्रस्तुतीकरण से श्रोतागण एकरूप हो जाते थे। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द को अपना सम्पुर्ण जीवन अर्पित कर दिया था। त्याग और सेवा को आत्मसात कर सार्थक हो गए थे। चारों योगों का समन्वय स्वामी आत्मानन्द के जीवन में दिखता है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्थान के निदेशक डॉ. ओमप्रकाश वर्मा ने स्वामी आत्मानन्द के जीवन और दर्शन पर प्रकाश डाला। स्वामी आत्मानन्द जी के जन्मदिवस पर समाधि स्थल, महादेवघाट में गंजन एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।