बिलासपुर

फर्जी मेडिकल रिपोर्ट पर युवक को भेजा जेल, साधारण मारपीट में लगा दी हत्या के प्रयास की धारा
03-Nov-2022 2:17 PM
फर्जी मेडिकल रिपोर्ट पर युवक को भेजा जेल, साधारण मारपीट में लगा दी हत्या के प्रयास की धारा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 3 नवंबर।
साधारण मारपीट के एक मामले में पुलिस ने हत्या के प्रयास की धारा 307 लगाकर जेल भेज दिया। आरोपी की मां ने तहकीकात की तो पता चला कि बेटे को जेल भेजने के लिए दो डॉक्टरों के नाम से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए गए हैं।

सरकंडा के शक्ति सिंह के खिलाफ जनवरी में उत्कर्ष दुबे ने सिविल लाइन थाने में मारपीट की शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने साधारण मारपीट की जमानती धाराएं लगाई थी। इसके बाद अचानक पिछले माह आरोपी शक्ति सिंह को पकडक़र वह थाने ले आई और गिरफ्तार कर उसे कोर्ट में पेश किया। हत्या के प्रयास का धारा लगे होने के कारण उसे जमानत नहीं मिली और वह जेल भेज दिया गया। इस दौरान शक्ति सिंह की मां आशा सिंह शहर से बाहर गई थीं। लौटने के बाद उसने पता लगाना शुरू किया कि साधारण मारपीट में बेटे को जेल कैसे हो गई। सिविल लाइन पुलिस ने बताया कि स्काई अस्पताल के डॉक्टर नरेश कृष्णानी और डॉ. राजीव सखूजा ने उत्कर्ष दुबे को गंभीर चोट आने की मेडिकल रिपोर्ट दी है। मां ने स्काई अस्पताल पहुंचकर दोनों डॉक्टरों से जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि सिविल लाइन थाने में उन्होंने कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं दी है, न ही थाने से उत्कर्ष दुबे के बारे में कोई पूछताछ की गई है।

पुलिस के पास फर्जी मेडिकल रिपोर्ट पहुंचने, उसके आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजने के मामले में मां ने कार्रवाई की मांग की है। डॉक्टरों ने भी सरकंडा थाने में पत्र लिखकर उनके नाम पर फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने की शिकायत की है। आरोपी की मां आशा सिंह ने अपनी शिकायत में कहा है कि सिविल लाइन पुलिस और जांच अधिकारी की इसमें मिलीभगत है। जिला अस्पताल के डॉ. प्रशांत गुप्ता ने  साधारण चोट की रिपोर्ट दी थी तब उसके बाद किसी दूसरी रिपोर्ट पर पुलिस ने यकीन कैसे किया। टीआई परिवेश तिवारी ने कहा कि पुलिस को मालूम नहीं था कि प्रार्थी की ओर पेश मेडिकल रिपोर्ट फर्जी है। सरकंडा पुलिस मामले की जांच कर रही है, दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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