कोरिया

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में एक ऐसा पौधा मांसाहारी होने के साथ परभक्षी भी
05-Nov-2022 12:28 PM
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में एक ऐसा पौधा मांसाहारी होने के साथ परभक्षी भी

चंद्रकांत पारगीर
बैकुंठपुर (कोरिया), 5 नवंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
कोरिया जिले स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में एक ऐसा पौधा पाया जाता है जो मांसाहारी होने के साथ परभक्षी भी है। देखने में काफी छोटा ये पौधा चींटी जैसे छोटे कीड़ों को अपना शिकार बनाता है।

इस संबंध में वनस्पति विशेषज्ञ आरपी यादव की माने तो इस पौधे को वीनस फ्लाईट्रैप कहा जाता है, जहां आद्र्रता की अधिकता रहती है ये वहां पाया जाता है। इस पौधे का वनस्पतिक नाम डायोनिया मसीपुला (dionaea muscipula) है। यह पौधा मांसाहारी है। छोटे कीड़ों को ये पकडक़र अवशोषित कर लेता है। इसे परभक्षी पौधा भी कहा जाता है।

श्री यादव आगे बताते हंै कि यह पौधा मुख्य रूप से अमरीका के कैरोलिना क्षेत्रों में पाया जाता है। साथ ही गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में भी ये बहुतायत में हंै, इसके पत्तों के आगे रेशे लगे होते हैं, जो इसके लिए सिग्नल की तरह काम करते हैं, जैसे ही कोई कीड़ा या चींटी उसकी ओर आता है, इसके पत्ते जो दो भागों में बँटे होते हैं और दोनों के मध्य एक उभार होता है, वह दरवाजे के कब्जे की तरह कार्य करता है, पास आने वाले कीड़े को जकड़ कर बन्द कर लेता है, जब कीड़े को पौधे के द्वारा पूरी तरह से अवशोषित कर लिया जाता है, तब जाकर पत्ते के दोनों भाग खुल जाते हैं। इस तरह से कीड़े को मारकर ये पौधा खा जाता है।

जैव विविधता से भरपूर है उद्यान
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में कई तरह के पेड़ पौधे के साथ वनस्पती पाये जाते हैं, साथ ही कई दुर्लभ पेड़ भी है इसके अलावा औषधीय पेड़ पौधों की भी कमी नहीं है इनके संरक्षण की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।  कई पेड़-पौधे तो ऐसे भी पाये जाते हैं, जिनका नाम कई लोगों को पता ही नहीं है। पार्क क्षेत्र में बबूल, खैर, सफेद खैर, करमी, बेल, महानीम, जटखेरी, करही, धौरा, नीम, कठमुहली, तेवर, सालिया, कसई,पलास, कुंभी, तून, भरही,बहुआर, हरदी, शीशम, फांसी, माकरतेंदू, तेंदू, कठजमती, बरगद, पीपल,खम्हार, चिलबिल, भंवरसाल, बारंगा, सीधा, आम, गीजन, करंज, बीजा, डकावल, सेमल, चंदन, रीठा, कुसुम, खाजा, सरई, रोहिना, कलम, कोगो, ईमली, सागौन, कहुआ, बहेरा, हर्रा, साज, सन्दन, तिलई, शामिल है इसके अलावा छोटे वृक्षों में कोईलार, अचार, चिल्ही, अमलतास, गलगला, ममार, आंवला, ककई, खदर, पिपरौल, आल, पंडार, मैनफल, भेलवा, दूधी, बेर, घोंट, पोटे, गोकुल, सीताफल, सरवत, कारंगी, करौंदा, चिरोटा, भैंसाफूल, सासापोडा, बनतुलसी, जमती, थूहा, जोगनी, गलफूली, घुंसी,ऐंठी, कोरया, जिरहुल, पुटुस, छिंद, खेसारी, बासकपास, कठुआन, धवई, बेरी,शामिल है। इसके अलावा ब्राम्ही, ईश्सबगोल, सिंदूर, जंगली प्याज,अदरक, कस्तुरी भिंडी सहित दुर्लभ घास भी मौजूद है। इसके अलावा पार्क क्षेत्र मे औषधीय प्रजाति के वनस्पति में प्रमुख रूप से अचार, घृतकुमारी, अन्नाटो, आंवला, अनन्तमूल, अवश्वगंधा, बहेडा, बायविडिंग, वैचांदी, बेल, भृंगराज, दहिमन ब्राम्ही, बच, चिरायता, धवई फूल, गुडुची, गुंज, हडजोड, हर्रा, इमली, इसबगोल, जंगली अदरक, काली मूसली, कालमेघ, कस्तुरी भिंडी, केउकंद, केवांच, केटकी, कुल्लू, लेमन ग्रास, लाजवंती, लोध, माहूल पत्ता, मंडुकपर्णी,पाताल कुंम्हडा, राम दातुन, सदाबहार, सफेद मूसली, सतावर, साल बीज, सनाय पत्ता, सर्पगंधा, सिंदूर, तिखुर, वन तुलसी, विदारी कंद आदि शामिल है। इसके अलावा कई तरह के घास भी यहां पाये जाते हंै, जिनमें फुलबहरी,कुश, भुरभुसी, बगई, चुरांट, चीर, कांसा, सेदू, गजदा, खस, आदि हैं।

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