बिलासपुर
पुलिस पूछताछ में आरोपी मेडिकल स्टोर संचालक ने कई राज खोले
रिश्तेदार, दोस्तों से उधार लेकर युवती ने शेयर में लगाने दी थी बड़ी रकम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 21 नवंबर । भिलाई की 24 वर्षीय युवती प्रियंका सिंह की हत्या के मामले में आरोपी ने पुलिस के सामने कई राज खोले हैं। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए आए प्रियंका के भाई को एफआईआर दर्ज कराने के लिए वही कोतवाली थाने ले गया था। शेयर बाजार में मुनाफे का पक्का भरोसा होने पर प्रियंका ने अपने परिवार और रिश्तेदारों से उधार लेकर 11 लाख रुपये आरोपी को दिए। कोचिंग का सत्र खत्म हो जाने के बावजूद वह रुपये वापस लेने के लिए बिलासपुर में रुकी हुई थी।
बिलासपुर में भिलाई की छात्रा की हत्या कर उसके शव को चार दिन तक अपनी मेडिकल की दुकान में छिपाकर रखे आरोपी आशीष साहू ने पुलिस की पूछताछ में कई अहम बातें उगली है। उसने बताया कि प्रियंका से उसका परिचय मेडिकल दुकान सीजी फार्मेसी में आने-जाने पर हुआ। वह दयालबंद के ही टुटेजा ट्यूटोरियल में प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए कोचिंग करने आई थी। प्रियंका के घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। वह अपने खर्च के लिए ट्यूशन भी पढ़ाती थी। आरोपी से मुलाकातों के बीच उसने इस बात का जिक्र किया। आरोपी ने उसे सलाह दी कि वह शेयर मार्केट में पैसा लगाएगी तो ज्यादा और जल्दी मुनाफा हो सकता है। शुरूआत में कई शेयरों में उसे अच्छा फायदा हुआ। इसके बाद प्रियंका से आशीष साहू ने बड़ी रकम लगाने के लिए कहा। उसने कहा कि 11 लाख रुपये लगाने से कुछ ही दिन में उसे तीन लाख रुपये का फायदा होगा, जिसे वे दोनों आधा-आधा बांट लेंगे। पर बाद में जैसा, आशीष ने बताया, मुनाफे की जगह इसमें नुकसान हो गया। चूंकि वह रकम प्रियंका ने अपने परिजनों और दूसरों से उधार लिए थे, वह चिंतित हो गई और आशीष को रुपये वापस करने के लिए कहने लगी। अक्टूबर में प्रियंका की कोचिंग पूरी हो गई थी, मगर रकम वापस लेने के लिए वह बिलासपुर में ही रुक गई। उसने मौत के चार-पांच दिन पहले ही एक लाइब्रेरी ज्वाइन की थी। 15 नवंबर को दोपहर में उसकी मां ने फोन किया। मां के पूछने पर प्रियंका ने बताया कि वह खाना खा चुकी है। पर शाम को जब परिजनों ने बात करना चाहा तो फोन बंद मिला। अगले दिन सुबह भी जब फोन बंद ही मिला तो परिवार के लोग परेशान हो गए।
उन्होंने आशीष साहू को फोन किया तो उसने गुमराह किया कि प्रियंका अपनी स्कूटी कल दोपहर से दुकान के सामने छोडक़र चली गई थी। उसकी एक सहेली को बुलाकर उसने स्कूटी और उसका हैंडबैग दे दिया था। घर के लोगों ने उसकी सहेली से पूछताछ की तो उसने भी जानकारी नहीं होने की बात कही। इससे प्रियंका का परिवार घबरा गया। प्रियंका के पिता ब्रजेश सिंह ने अपने बेटे हिमांशु को बिलासपुर रवाना किया। यहां आने पर हिमांशु सीधे आशीष साहू के पास पहुंचा। आशीष ने कुछ भी मालूम नहीं होने का बहाना बनाया और सहानुभूति दिखाई। फिर वह खुद ही हिमांशु को कोतवाली थाना लेकर गया। दोनों ने वहां प्रियंका की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई। इसके बाद हिमांशु ने आसपास के सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग देखने की इच्छा जताई। आशीष ने यह भी नाटक किया।
इस दौरान एक पुलिस जवान भी उनके साथ था। कैमरे की रिकॉर्डिंग में दोपहर के वक्त यह दिखाई दे रहा है कि प्रियंका चार बार दुकान के भीतर जाती है, फिर बाहर निकलती है। पांचवी बार भीतर जाने के बाद वह बाहर नहीं निकली। पुलिस के अनुसार इसे लेकर जांच आगे बढ़ाई जाती, मगर हिमांशु को धोखा हुआ कि प्रियंका बाइक पर किसी के साथ बैठकर जाती हुई दिख रही है। पुलिस को चूंकि तब तक मनीष पर संदेह नहीं हुआ था, उसने दुकान के भीतर जाकर प्रियंका की तलाश करने की कोशिश नहीं की।
दरअसल, आरोपी आशीष साहू की दुकान में 15 नवंबर को दोपहर में प्रियंका पहुंची थी। वह फिर उससे शेयर में लगाए पैसे वापस मांगने लगी। इससे दोनों में बहस बढ़ गई। इसी दौरान आशीष ने खतरनाक योजना बना ली। उसने भीतर बैठकर बात करने के बहाने दुकान का शटर गिरा दिया। भीतर उसने प्रियंका के मुंह में उसी का दुपट्टा ठूंस दिया ताकि वह चीख न सके। इसके बाद गला दबाकर उसे मार डाला। मारने के बाद उसने शव को दुकान के पीछे छिपा दिया। लोगों की निगाह न पड़े इसके लिए शव के ऊपर कर्टून रख दिए। आशीष इस दौरान लगातार दुकान खोल रहा था ताकि उस पर किसी को संदेह न हो। शव से दुर्गंध आने लगा तो उसने अगरबत्ती, परफ्यूम और फिनाइल का इस्तेमाल किया।
सीसीटीवी में कैद हुआ कि बीते रविवार को सुबह 4.30 बजे उसने अपनी कार दुकान के सामने बैक करके लगाई, शटर खोलने के बाद कार के पीछे के दरवाजे को खोला, फिर प्रियंका के शव को घसीटते हुए कार के भीतर डाल दिया। इसके बाद शटर पर ताला लगाकर वह कार से निकल गया। शव को लेकर वह सीधे अपने कस्तूरबा नगर स्थित घर में पहुंचा और सामने की बाड़ी में कार खड़ी कर दी। दोपहर में कार में पड़े शव की तरफ मोहल्ले के लोगों का ध्यान चला गया। उन्होंने पुलिस को इसकी खबर कर दी। पुलिस ने शव को बरामद करने के बाद आशीष साहू को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। पुलिस का कहना है कि रविवार को मौका देखकर वह शव को ठिकाने लगाने के लिए निकलता लेकिन इसके पहले ही वह गिरफ्तार कर लिया गया। बिलासपुर में युवती की हत्या कर शव को दुकान में छिपाने की घटना लोगों को दिल्ली के श्रद्धा मर्डर केस की याद दिला रही है, जिसमें आरोपी ने कई दिन तक घर में लाश को छिपाकर रखा, फिर उसके टुकड़े कर-करके शव को ठिकाने लगाया।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आशीष के बैंक खातों की जांच की। इसमें पता चला कि अप्रैल 2022 से लेकर अक्टूबर 2022 तक आशीष और प्रियंका के बीच 19 लाख रुपयों का ट्रांजेक्शन हुआ है। आरोपी ने बताया कि इस 6 माह की अवधि में दोनों ने चार पांच लाख रुपये कमाए। इसमें आधी रकम उसने प्रियंका को आपस में हुए मौखिक करार के आधार पर दिए भी हैं। आरोपी के कहने पर ही आखिरी बार प्रियंका ने 11 लाख रुपये शेयर में लगाने के लिए आशीष को दिया, लेकिन उसके मुताबिक पूरी रकम डूब गई। प्रियंका उसे बार-बार इस रकम को वापस मांग रही थी। रुपये न लौटाना पड़े इसलिए उसने हत्या कर दी।