दुर्ग
उतई, 23 नवंबर। ग्राम सेलूद में आयोजित संगीतमय भागवत कथा में मंगलवार को भागवत सिंधु श्रीकांत त्रिपाठी व बाल विदुषी कु शीघ्रता त्रिपाठी ने श्रीकृष्ण की बाल लीला, गोवर्धन पूजा की दिव्य कथा विस्तार पूर्वक सुनाई।
उन्होंने बाल कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करने के पश्चात गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाया। कथा के दौरान भगवान गिरिराज महाराज के समक्ष सुंदर छप्पन भोग के दर्शन कराए।
उन्होंने यह भी बताया कि जहां सत्य एवं भक्ति का संबंध होता है। वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है। उन्होंने गाय की सेवा एवं महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रत्येक हिंदू परिवार में गाय की सेवा अवश्य होनी चाहिए।
महाराज ने कहा कि आज युवा पीढ़ी अपने धर्म अपने भगवान को नही मानते है, लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत ,रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जाएगी।
ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोडक़र गिर्राज जी की पूजा शुरू कर दी, तो इंद्र ने कुपित होकर ब्रज वासियों पर मूसलाधार बारिश की। कृष्ण भगवान ने गिर्राज को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मानमर्दन किया।
इंद्र को भगवान की सत्ता का एहसास हुआ और इंद्र ने भगवान से क्षमा मांगी व कहा हे प्रभु मैं भूल गया था की मेरे पास जो कुछ भी है, वो सब कुछ आप का ही दिया है।
इस अवसर पर श्री कृष्ण बाल लीला, माखन लीला, गौ चारण, गोवर्धन पूजा के प्रसंग सुनाए गए।
उन्होंने कंस की क्रूरता के समान जूझते समाज में अनंत कोटी ब्रहमांड पानक परमात्मा के प्राकट्य की आवश्यकता बताते हुए भगवान के अवतरण का प्रसंग सुनाया। इस मौके पर श्रीकृष्ण के बाल रूप की मनमोहक झांकी को देख भक्तगण भावुक हो गए। हर तरफ जय कन्हैयालाल की उदघोष गूंजने लगे। सबने कृष्ण जन्म पर एक दूसरे को बधाई दीं। इसके बाद श्री कृष्ण की बाल लीला को झांकी के माध्यम से भी दिखाया गया।
इस अवसर पर सुभाष राय, सावित्रि राय, बल्लू राय, ममता राय, पुष्पा, प्रभा, सतीश साहू, बलराम यादव, सतीश राय, राजू राय, राजेश साहू, शुशिला यादव, दिलेश्वरी साहू, अन्नपूर्णा वर्मा, मेनका निर्मलकर, सावित्री वर्मा, ललिता वर्मा, उमेश राय, अनुष्का राय, चिराग , प्रतीक, चीकू, काजू, सुनीता, दरबारी, संगीता, विनय, रोशनी, नारायण, सरला, सुरेश,राधा, संतोष, सुनीता, आशीष, अंजना, बबलू, शोभा, राजाराम, सुनीता, राममिलन, राधा, मोहन राय, चंदा बाई, राम बाई, तारा बाई, रविशंकर जायसवाल, राकेश राय, बाबू, सुशीला, गोपचंद, कल्लू, राजा, कांता, बद्री, सुषमा, गोविंद, लक्ष्मी, चंद्रभान, उषा, अमरनाथ सहित राय परिवार सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।