जशपुर
जंगल झांकने की फुर्सत ही नहीं-वन रक्षक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जशपुर नगर, 24 नवंबर। सरकार वनों को बचाने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन सारी योजनाएं फेल हो रही हैं। वनों की देख-रेख या वन लगाने का काम कराने के लिए हर क्षेत्र में वन रक्षकों को तैनात किया गया है। लेकिन वन रक्षक के रहते मुख्यालय से चिरान के लिए बड़े-बड़े पेड़ काट दिए जा रहे हैं और वन रक्षक गहरी नींद में सो रहे हैं।
विकासखंड मुख्यायल में हाईस्कूल के पीछे की ओर से होते हुए लावा नदी सडक़ किनारे लकड़ी तस्करों द्वारा चिरान के लिए बड़े पेड़ को कुल्हाड़ी से काट कर के खाई में छुपा दिया गया है। पेड़ की कटाई से लेकर लकड़ी के अवैध चिरान की जानकारी वन रक्षक से लेकर वन विभाग के रेंजर को है लेकिन उनके स्तर से अबतक कार्यवाही नही की गई। जिससे लकड़ी तस्कर निडर होकर इमारती लकड़ी का चिरान काट रहे हैं। वन विभाग से एक किलोमीटर की दूरी पर लकड़ी तस्करों ने रास्ते से ही पेड़ को काट कर खाई में फेंक दिया और धीरे धीरे से चिरान ले
जाया जा रहा है।
मुझे फुर्सत नहीं है
वनरक्षक भूपेन्द्र पैंकरा से बात करने पर उन्होंने बताया कि अन्य कार्यों से उन्हें फुर्सत नहीं मिल रही। उन्होंने कहा, मैं जंगल गया पर अंदर नहीं गया। वनरक्षक का यह भी कहना है कि उस जंगल में चिरान के लिए एक भी पेड़ नहीं है जबकि सच्चाई यह है कि उस जंगल में इमारती पेड़ बहुतायात संख्या में हैं और तैयार भी हो रहे हैं।
बैठकर ले रहे मोटा वेतन
वन रक्षकों को बैठे-बैठे वेतन मिल रहा है। सरकार वन रक्षकों को 38 हजार से 60 हजार रुपए महीने की भुगतान कर रही है और लाखों रुपए के पेड़ चिरान के लिए लकड़ी तस्कर काट कर ले जा रहे हैं। वन विभाग को कानो कान इसकी खबर नहीं मिल रही है।