राजनांदगांव

औलादों को अच्छे संस्कार मिलेंगे तो जीवन रहेगा सुखी-संत ललितप्रभजी
27-Nov-2022 12:01 PM
औलादों को अच्छे संस्कार मिलेंगे तो जीवन रहेगा सुखी-संत ललितप्रभजी

समाजसेवी संजय सिंगी के निवास से आगमन के बाद विहार भी, तीन दिनी प्रवचनमाला का समापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 27 नवंबर।
अच्छे संस्कार आदमी को कभी भी अंधेरे की ओर नहीं जाने देते, अच्छे संस्कार हमेशा आदमी को उजाले की तरफ  लेकर जाते हैं। जिंदगी में जितनी जरूरत शिक्षा की होती है, उतनी ही जरूरत संस्कारों की हुआ करती है। हम सबने यह पढ़ा और जाना है कि राम-कृष्ण-महावीर बचपन में गुरुकुल जाया करते थे, वहां उन्हें शिक्षा और दीक्षा दोनों दी जाती थी। जीवन में शिक्षा के साथ दीक्षा अर्थात् संस्कारों की महती आवश्यकता होती है। संस्कार ही वो पूंजी होती है जो आदमी के बढ़ापे तक काम आती है, संस्कार वो पूंजी होती है जो उसके दादा-दादी व माता-पिता के काम आती है। संस्कार वो पूंजी होती है जो आदमी के पग-पग पर काम आती है। यह प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागरजी महाराज ने शुक्रवार को श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ द्वारा सदर बाजार स्थित जैन बगीचा प्रांगण में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचन माला के समापन पर कैसे लाएं जीवन में संस्कार विषय पर व्यक्त किए।

 बेटी को बनाएं परफेक्ट
संतश्री ने कहा कि हर महिला अपने जीवन में एक बात हमेशा याद रखे कि वह अपनी बहु के साथ हमेशा मां की भूमिका निभाए और अपनी बेटी के साथ हमेशा सास की भूमिका निभाए। यह बहुत गहराई की बात हैए अगर आप चाहते हैं कि आपकी बेटी सुसराल जाकर यश और गौरव लेकर आए तो उसके सुसराल जाने से पांच साल पहले उसके साथ एक सास की भूमिका अदा कर दो, ताकि उसे आप ससुराल के लिए परफेक्ट तैयार कर सकें।

बच्चों के सामने घर पर ना बोलें झूठ
जितना आप अपने बच्चों को लाड़-प्यार, सुविधाएं देने के लिए सजग हैं, उतने ही सजग उनके संस्कार निर्माण के लिए हो जाएं। बच्चा बड़ा हो रहा है तो सावधान रहें, घर पर आपस में कभी भी उसके सामने झूठ न बोलें। चाहे जैसी घर में बात बिगड़ जाए पर बच्चों के सामने पति-पत्नी से और पत्नी पति से झूठ न बोलें।

स्वयं में लाएं सुधार
बच्चों को संस्कारवान बनाने आप अपने जीवन में यह नियम बना लें कि मैं घर का माहौल हमेशा अच्छा बनाए रखुंगा। घर के सदस्यों से हमेशा सम्मान भरी भाषा ही बोलुंगा, क्योंकि बच्चे वो नहीं सीखते जो आप कहते हैं, बच्चे वो सीखते हैं जो आप करते हैं। दूसरा यह कि घर में केवल उपदेशक मत बनिए। बातों के बादशाह बनने की बजाय आचरण के महावीर बनना ज्यादा अच्छा है। अगर सिखा सको तो बच्चों को सद्गुण सिखाएं। जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के अध्यक्ष मनोज बैद ने गुरुजन और सकल समाज का आभार व्यक्त किया।

सिंगी परिवार के घर में आगमन और विहार भी
 राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागरजी करीब छह माह पूर्व राजनांदगांव में पधारे थे। एक संयोग सिंगी परिवार के साथ ऐसा जुड़ा कि शहर आगमन और विहार के दौरान  संत समाजसेवी संजय सिंगी के घर पहुंचे। खुलेतौर पर राष्ट्रसंत ने सिंगी परिवार की आवभगत से अभिभूत होकर परिवार के खुशहाली और उनके समृद्धि के लिए आशीर्वाद दिया। सिंगी परिवार समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय है। वहीं जैन एवं गैर जैन समुदाय की सेवाभाव में यह परिवार हमेशा अग्रणी रहा है। यही कारण है कि पूर्व में भी कई राष्ट्रसंत का उनके घर आगमन हुआ है। परिवार की ओर से राष्ट्रसंत ललितप्रभजी का आत्मीय स्वागत-सत्कार किया गया। इस दौरान शहरभर के जैन समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे।
 

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